मृत्यु के बाद और जन्म से पहले आत्मा कहाँ रहती है? हमारे धार्मिक ग्रंथों में इस पर कई प्रकार के मत दिए गए हैं। गरुड़ पुराण में कहा गया है की मृत्यु के बाद आत्मा अपने कर्म के अनुसार स्वर्ग या नरक का भोग करती है। मृत्यु के बाद आत्मा को उनके कर्म के आधार पर ही अगला शरीर प्राप्त होता है।
इस विषय को लेकर पृथ्वी पर मौजूद अलग-अलग धर्म के अलग-अलग विचार हैं। सबसे पुराने और प्राकृतिक धर्म सनातन धर्म में मृत्यु के बाद आत्मा के अस्तित्व और कर्म फल पर जीवन मरण की यात्रा का विस्तार से वर्णन किया गया है। हालांकि इस पर विभिन्न धर्मों और दर्शनशास्त्रों में भिन्न-भिन्न विचार हैं। यहाँ कुछ प्रमुख विचारधाराओं का संक्षिप्त वर्णन किया गया है।
- हिंदू धर्म:
- संसर (Reincarnation): हिंदू धर्म के अनुसार, आत्मा एक शरीर से दूसरे शरीर में जन्म लेती रहती है। मृत्यु के बाद आत्मा यमलोक या पितृलोक जाती है, जहाँ उसके कर्मों का लेखा-जोखा होता है। अच्छे कर्मों के फलस्वरूप आत्मा को स्वर्ग में स्थान मिलता है, जबकि बुरे कर्मों के कारण नरक में। अंततः आत्मा पुनः जन्म लेकर पृथ्वी पर आती है।
- मुक्ति (Moksha): जब आत्मा सभी कर्मबंधन से मुक्त हो जाती है और परमात्मा के साथ एकाकार हो जाती है, तब वह संसर के चक्र से मुक्त हो जाती है और मोक्ष प्राप्त करती है।
- बौद्ध धर्म:
- पुनर्जन्म (Rebirth): बौद्ध धर्म में भी पुनर्जन्म का सिद्धांत है, लेकिन यहाँ आत्मा का कोई स्थायी अस्तित्व नहीं माना जाता। कर्मों के आधार पर पुनर्जन्म होता है। मृत्यु के बाद चेतना की निरंतरता किसी नए अस्तित्व में प्रवेश करती है।
- निर्वाण (Nirvana): जब व्यक्ति सभी इच्छाओं और बंधनों से मुक्त हो जाता है, तब उसे निर्वाण प्राप्त होता है, जो पुनर्जन्म के चक्र से मुक्ति है।
- सिख धर्म:
- सिख धर्म में भी पुनर्जन्म का विश्वास है, लेकिन यहाँ आत्मा का अंतिम लक्ष्य ईश्वर के साथ मिलन और मोक्ष है। आत्मा अच्छे कर्म और ईश्वर की भक्ति के माध्यम से मोक्ष प्राप्त कर सकती है।
- जैन धर्म:
- आवागमन (Reincarnation): जैन धर्म में आत्मा कर्मों के अनुसार विभिन्न योनियों में जन्म लेती रहती है। मृत्यु के बाद आत्मा स्वर्ग, नरक या पुनः मानव जन्म में प्रवेश करती है।
- मोक्ष (Liberation): जब आत्मा कर्मबंधन से मुक्त हो जाती है, तो वह मोक्ष प्राप्त कर लेती है और सिद्धलोक में जाती है।
- ईसाई धर्म:
- स्वर्ग और नरक: अधिकांश ईसाई धर्मों में यह माना जाता है कि मृत्यु के बाद आत्मा स्वर्ग या नरक जाती है, जो उसके कर्मों और ईश्वर में विश्वास पर निर्भर करता है। अंत में एक अंतिम निर्णय होगा, जहाँ आत्माओं का अंतिम गंतव्य निर्धारित होगा।
- पुनरुत्थान (Resurrection): कई ईसाई संप्रदायों में यह विश्वास है कि मृत्यु के बाद आत्मा एक दिन पुनरुत्थित होगी और शरीर के साथ मिलकर न्याय के दिन ईश्वर के सामने प्रस्तुत होगी।
- इस्लाम धर्म:
- बरजख: इस्लाम में मृत्यु के बाद आत्मा बरजख नामक एक अंतरिम अवस्था में रहती है, जहाँ वह अंतिम निर्णय के दिन का इंतजार करती है। अच्छे कर्मों वाली आत्मा को आराम मिलता है, जबकि बुरे कर्मों वाली आत्मा को कष्ट होता है।
- कयामत का दिन: अंतिम निर्णय के दिन, आत्माओं को उनके कर्मों के आधार पर स्वर्ग (जन्नत) या नरक (जहन्नम) में भेजा जाएगा।
ये विचारधाराएँ विभिन्न धार्मिक और दार्शनिक दृष्टिकोणों पर आधारित हैं और इनका उद्देश्य जीवन, मृत्यु और आत्मा के रहस्यों को समझना है।