नई दिल्ली। एनआईए ने आतंकी फंडिंग मामले में जम्मू-कश्मीर में नौ स्थानों पर छापेमारी की। पुलिस और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के जवानों के साथ छापेमारी की गई। एनआईए द्वारा कोकेरनाग (जम्मू- कश्मीर ) मुठभेड़ मामले में दो लोगों पर आरोप लगाते हुए आरोप पत्र दाखिल करने के लगभग एक महीने बाद तलाशी अभियान चलाया गया ।
एएनआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि मामले के संदिग्ध लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) की शाखा द रेसिस्टेंट फ्रंट (टीआरएफ) से जुड़े हैं। विशेष रूप से लश्कर-ए-तैयबा 1990 के दशक की शुरुआत में गठित सबसे बड़ा आतंकवादी समूह है और अनंतनाग क्षेत्र में सक्रिय रूप से नेटवर्क को पुनर्जीवित करने में लगा हुआ।
मुठभेड़ मामले में एक महीने बाद चलाया गया तलाशी अभियान
श्रीनगर (Srinagar News) में रहने वाले कुछ संदिग्धों के संबंध में प्राप्त विशेष जानकारी पर कार्रवाई करते हुए, आतंकवाद विरोधी एजेंसी ने तलाशी शुरू की। एनआईए द्वारा कोकेरनाग (जम्मू-कश्मीर) मुठभेड़ मामले में दो आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दायर करने के लगभग एक महीने बाद तलाशी अभियान चलाया गया था।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने सोमवार को आतंकी फंडिंग मामले में जम्मू-कश्मीर में कम से कम नौ स्थानों पर छापेमारी की। सूत्रों के मुताबिक, एनआईए की टीमों ने पुलिस और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के जवानों के साथ छापेमारी की। एनआईए की टीम ने श्रीनगर के क़लमदान पोरा के 25 वर्षीय मुज़म्मिल शफी खान के घर पर छापा मारा। मुज़ामिल सौंदर्य प्रसाधन कंपनी रेवलॉन इंडिया में काम करता है। एजेंसी ने एक सेवानिवृत्त सरकारी बस कर्मचारी मुश्ताक अहमद डार के घर पर भी छापा मारा।
लश्कर-ए-तैयबा सबसे बड़ा आतंकवादी समूह
दोनों संगठन अपने मकसद को बढ़ावा देने और बेरोजगार युवाओं को आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए लुभाने के लिए ट्विटर, टेलीग्राम और यूट्यूब चैनलों जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर काम कर रहे हैं।
लश्कर-ए-तैयबा (Lashkar e Taiba) 1990 के दशक की शुरुआत में बना सबसे बड़ा आतंकवादी समूह है और अनंतनाग क्षेत्र में सक्रिय रूप से नेटवर्क को पुनर्जीवित करने में लगा हुआ है। यह जम्मू और कश्मीर क्षेत्र में विभिन्न शाखाओं के माध्यम से काम कर रहा है।
कश्मीरी युवाओं को भड़काने में रहे शामिल
सूत्रों ने कहा कि मामले के संदिग्ध लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) की शाखा द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) से जुड़े हैं। लश्कर और टीआरएफ (TRF) दोनों प्रतिबंधित संगठन हैं और ‘जिहाद’ के नाम पर कश्मीरी युवाओं को आतंकवादी संगठनों में शामिल होने के लिए लगातार भड़काने और प्रेरित करने में शामिल रहे हैं।