इस टैस्ट से पता लगाए ह्दय रोगों के बारे में!
इस टैस्ट से पता लगाए ह्दय रोगों के बारे में!

करीब एक दशक पहले ह्दय संबंधित बिमारियाँ ज्यादा उम्र के लोगों में पाई जाती थी. लेकिन आज का समय ऐसा है कि ह्दय रोग अब कम उम्र के लोगों और बच्चों में भी पाया जाने लगा. अगर विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट के मुताबिक बात की जाए, तो विश्वभर के देशों में अकेला भारत ऐसा देश है जिसमें युवाओं की मौत के करीब 20 फीसदी तक मामले सामने आते है.

इस टैस्ट से पता लगाए ह्दय रोगों के बारे में!

इतना ही नहीं, बॉलीवुड दुनिया के चमकते सितारें भी ह्दय रोगों की चपेट में आए हैं. हाल के कुछ सालों में कई ऐसे  युवा सिलेब्रिटीज है जिनकी हार्ट अटैक से मौत हुई है. स्वास्थ्य विशेषज्ञों का ये कहना है कि क्योंकि दिल की बिमारियों से खतरा ज्यादा उम्र के लोगों के साथ-साथ युवाओं में भी बढ़ती जा रही है. तो ऐसे में काफी सावधानी बरतने की आवश्यकता है.

कई वैज्ञानिकों की टीम ने ह्दय रोगों के बढ़ते खतरे को लेकर शोध किया है. जिसके चलते उन्हें जेनेटिक सीक्वेंसिंग के ऐसे तरीके के बारे में पता चला, जिसके आधार पर इस बात का अनुमान लगाया जा सकेगा कि मनुष्य के अंदर हार्ट से जुड़ी परेशानी बढ़ने के कितने चांस है.

हार्ट बिमारियों की जांच-

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नेक्सट जेनरेशन सीक्वेसिंग के आविष्कार के बाद अब जेनेटिक सीक्वेसिंग के जरीए अब किसी भी मरीज के जीन्स में हो रहे बदलाव की जांच की जा सकती है.

इस तकनीक के जरीए सीवीडी जैसी बीमारियों के जेनेटिक आधार समझने में मदद मिलती है. बता दें कि सीवीडी जैसी बिमारी अपनी प्रकृति के मुताबिक पॉलिजेनिक (कई जीन्स) का नतीजा होते हैं. इसकी जांच के लिए पीआरएस यानी पॉलिजेनिक रिस्क स्कोर का तरीका अपनाया जाता है.

पॉलिजेनिक रिस्क स्कोर-

पॉलिजेनिक रिस्क स्कोर मानव जीनोम में कई बदलाव को एकीकृत करता है. इस टैस्टिंग के जरीए इंसान के अंदर ह्दय रोग की बिमारियों के पनपने का पता लगाया जा सकता है.

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हाल ही में कुछ शोधकर्ताओं के द्वारा की गई स्टडी से यह पता चला है कि दक्षिण एशियाई लोगों में कोरोनरी धमनी के रोगों का खतरा काफी होता है. इसमें उन्होंने पाया कि अन्य देशों की तुलना में भारतीय लोगों में हृदय और रक्त की धमनियों से संबंधित रोग होने की आशंका तीन गुना ज्यादा होती है.

विशेषज्ञों का ये भी कहना है कि इस परीक्षण के आधार पर होने वाली बिमारियों को जानकर उनसे बचा जा सकता है. कार्डियोजेन टेस्ट के जरिए 18 साल से ज्यादा उम्र के लोग एक ही बार इस टैस्ट को कराके भविष्य में होने वाली हार्ट की बिमारियों का पता लगाकर उसका इलाज कर सकते है. कार्डियोजेन टेस्ट की सुविधा का लाभ मरीज घर बैठे उठा सकते हैं.