नई दिल्ली। जनसुराज यात्रा के संयोजक प्रशांत किशोर लगातार बिहार गांव और शहर में घूम घूमकर लोगों को जागरूक करने की कोशिश कर रहे हैं। लोगों को सही गलत का अंतर समझाने की कोशिश कर रहे हैं। इस बीच प्रशांत किशोर ने एक ऐसी बात कही जिसे सुनकर लोग सोचने के लिए मजबूर हो गए
बिहार का पैसा कहां जा रहा? प्रशांत किशोर ने समझाया
प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने कहा कि बिहार के लोग जो बैंक में बचत का पैसा जमा करते हैं,बैंक को उसे ऋण के तौर पर लोगों को देना पड़ता है। पिछले साल बिहार की गरीब जनता ने 4 लाख 21 हजार करोड़ जमा किया था। बैंक को इसमें से 2 लाख 80 हजार करोड़ बिहार के लोगों को ऋण देना था, लेकिन बैंक ने बिहार के लोगों को 1 लाख 60 हजार करोड़ ही ऋण दिया। बाकी पैसा बैंकों ने पैसा यहां से उठाकर उन राज्यों में भेज दिया जहां उद्योग धंधे लग गए। लोगों को अगर यह पैसा मिल जाता तो वे लोग रोजगार लगाते, दुकान लगाते लेकिन आपको मिल नहीं रहा है।
70 प्रतिशत की जगह 40 प्रतिशत मिल रहा पैसा
रिजर्व बैंक इसे सीडी रेश्यो कहता है, यानी, क्रेडिट डिपोजिट रेश्यो। इसके तहत प्रावधान है कि जितना बैंक में पैसा जमा होता है, उसका 70 प्रतिशत पैसा समाज को ऋण के रूप में मिलना चाहिए। लेकिन बिहार में मिल कितना रहा है केवल 40 प्रतिशत।
जब से लालू जी यहां के मुख्यमंत्री बने उस समय से गड़बड़झाला हो रहा है। प्रशांत किशोर ने कहा कि 1990 से लेकर पिछले साल तक बैंकों आपका-हमारा 25 प्रतिशत पैसा बिहार से उठाकर दूसरे राज्यों को दे दिया। अब आपके पास पूंजी है नहीं कहां से बिजनेस कीजिएगा। बच्चे को पढ़ाने का पैसा है नहीं तो कहां से क्या कीजिएगा। प्रशांत किशोर भी चुनाव को लेकर काफी एक्टिव हैं। वह लगातार बिहार में यात्रा कर रहे हैं। इसके साथ वह लोगों को संबोधित भी कर रहे हैं। इस बीच उन्होंने यह बताया है कि अच्छे लोग राजनीति में सफल क्यों नहीं हो पाते हैं। इसके अलावा उन्होंने खुलकर यह बता दिया कि बिहार में किसी भी व्यक्ति का भविष्य कैसे बदलेगा।
बिहार को सुधारने के लिए खड़े हो जाइए
उन्होंने कहा कि आप अपने बच्चों के लिए और बिहार को सुधारने के लिए खड़े हो जाइए, अगर पैसा और साधन नहीं है, इसके अलावा राजनीत की समझ नहीं है तो उसकी चिंता प्रशांत किशोर पर छोड़ दीजिए, बस खड़े हो जाइए हम सारी मदद करेंगे, लेकिन रोना-गाना बंद कीजिए कि विकल्प नहीं है। अगर विकल्प नहीं है तो आपको और हमको मिलकर बनाना पड़ेगा।
प्रशांत किशोर जिन्हें आम बोलचाल की भाषा में पीके के नाम से जाना जाता है , एक भारतीय राजनीतिक रणनीतिकार और रणनीतिज्ञ हैं । भारतीय राजनीति में कदम रखने और एक राजनीतिक रणनीतिकार के रूप में काम करने से पहले उन्होंने आठ साल तक संयुक्त राष्ट्र द्वारा वित्त पोषित सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों में काम किया।
किशोर ने अपना ज्ञान हासिल करने के लिए बीजेपी के लिए एक राजनीतिक रणनीतिकार के रूप में काम किया, फिर उन्होंने बीजेपी , जेडी (यू) , कांग्रेस , आप , वाईएसआरसीपी , डीएमके और टीएमसी के लिए काम किया । उनका पहला प्रमुख राजनीतिक अभियान 2011 में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को गुजरात विधानसभा चुनाव 2012 में तीसरी बार सीएम कार्यालय में फिर से निर्वाचित होने में मदद करने के लिए था।
हालाँकि, वह तब व्यापक रूप से लोगों के ध्यान में आए जब सिटीजन्स फॉर अकाउंटेबल गवर्नेंस (CAG), एक चुनाव-अभियान समूह, जिसकी उन्होंने संकल्पना की थी, ने 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को पूर्ण बहुमत जीतने में मदद की।