दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के एक बयान के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची जांच एजेंसी ईडी को झटका लगा है। शीर्ष न्यायालय ने केजरीवाल के बयान के खिलाफ ईडी की आपत्ति पर विचार करने के इनकार कर दिया है। केजरीवाल ने कहा कि अगर लोग मेरी पार्टी को वोट देंगे तो वो फिर जेल नहीं जाएंगे।
SC ने अरविंद केजरीवाल के उस बयान पर की आपत्ति पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर लोग AAP को वोट देंगे, तो वह 2 जून को वापस जेल नहीं जाएंगे। केजरीवाल के वकील ने दिल्ली के सीएम को अंतरिम जमानत पर केंद्रीय मंत्री के बयान का हवाला दिया, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फैसले के आलोचनात्मक विश्लेषण का स्वागत है।
केजरीवाल ने क्या कहा था?
केजरीवाल ने जेल से बाहर आने के बाद अपनी पार्टी नेताओं के साथ बैठक में कहा था कि उन्हें 2 जून को वापस जेल जाना होगा। सीएम ने आगे कहा कि अगर उनके पार्टी के नेता मेहनत करके 4 जून को इंडी गठबंधन की सरकार बनवा देते हैं तो उन्हें जेल नहीं जाना पड़ेगा।
दिल्ली की सरकार गिरा देंगे
भाजपा वालों ने मुझे यह सोचकर जेल भेजा था कि इससे आम आदमी पार्टी के विधायकों, पार्षदों और कार्यकर्ताओं को तोड़ देंगे। दिल्ली और एमसीडी में सरकार गिरा देंगे। इनकी कोशिश नाकाम हो गई और इससे हमारी पार्टी और भी संगठित होकर लड़ेगी। ‘आप’ केवल एक पार्टी नहीं बल्कि एक परिवार और विचार है, जिसे तोड़ना असंभव है।
6 महीने के लिए जेल में रहना पड़ेगा
केजरीवाल ने आगे कहा कि मुझे जब गिरफ्तार किया गया था लगा कि मुझे 6 महीने जेल में रहना पड़ेगा। लेकिन, भगवान की कृपा से आज मैं आप सबके बीच हूं। उन्होंने भाजपा पर हमला बोलते हुए कहा कि आज से तीन महीने पहले तक भाजपा की 400 सीट को लेकर बात होती थी, आज हालात बदल चुके हैं। अब इनके 250 पार जाने पर सवाल उठ रहे हैं। इन्होंने मुझे जेल के अंदर अपमानित करके, बेइज्जत करके और मेरी दवा रोककर तोड़ने का प्रयास किया। इन्होंने मेरी इंसुलिन रोक दी।
ईडी क्या है?
ED एक घरेलू कानून प्रवर्तन एजेंसी और आर्थिक खुफिया एजेंसी है जो भारत में आर्थिक कानूनों को लागू करने और आर्थिक अपराधों से लड़ने के लिए जिम्मेदार है । यह भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग का हिस्सा है। प्रवर्तन निदेशालय मनी लॉन्ड्रिंग , विदेशी मुद्रा उल्लंघन, भ्रष्टाचार और आर्थिक अपराधों से संबंधित मामलों की जांच और मुकदमा चलाने पर ध्यान केंद्रित करता है। इसका प्राथमिक उद्देश्य काले धन की उत्पत्ति और प्रसार पर अंकुश लगाना और विदेशी मुद्रा और मनी लॉन्ड्रिंग की रोकथाम से संबंधित कानूनों का अनुपालन सुनिश्चित करना है।
Ed का गठन
इसका गठन 1 मई 1956 से हुई, जब विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम, 1947 के तहत विनिमय नियंत्रण कानूनों के उल्लंघन से निपटने के लिए आर्थिक मामलों के विभाग के भीतर एक “प्रवर्तन इकाई” का गठन किया गया था। 1957 में, इकाई का नाम बदल दिया गया था प्रवर्तन निदेशालय के रूप में
उद्देश्य
प्रवर्तन निदेशालय का मुख्य उद्देश्य भारत सरकार के तीन प्रमुख अधिनियमों को लागू करना है , अर्थात् विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (फेमा) और धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (पीएमएलए), और भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम, 2018 (FEOA)
Ed पर आरोप
मोदी के दूसरे कार्यकाल में ईडी के मामले छह गुना बढ़ गए हैं, जिसके कारण विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि भाजपा अपने राजनीतिक उद्देश्यों के लिए ईडी का दुरुपयोग कर रही है। अप्रैल 2023 में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने 14 विपक्षी दलों की एक याचिका को खारिज कर दिया।