दिनेश प्रताप सिंह

नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2024 की लड़ाई दिन पर दिन बड़ी रोचक होती जा रही है। यूपी की लगभग सभी सीटों पर एनडीए गठबंधन को इंडिया गठबंधन से कड़ी चुनौती मिल रही है। इसी बीच भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस के अभेद्य किले को भेदने के लिए अपना दांव चल दिया है। बीजेपी ने रायबरेली सीट से दिनेश प्रताप सिंह को चुनाव मैदान में उतारा है।

टिकट को लेकर असमंजस

रायबरेली लोकसभा सीट पर चुनाव जीतने के लिए भाजपा इस बार शुरुआती दौर से ही जोर आजमाइश कर रही है। काफी समय से टिकट घोषणा को लेकर असमंजस की स्थिति चल रही थी। कभी वरुण गांधी तो कभी पूर्व मंत्री मनोज कुमार पांडेय समेत अन्य दावेदारों के चुनाव लड़ने की अटकलें लगाई जा रही थी।

सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ चुके

दिनेश प्रताप सिंह 2019 में बीजेपी में शामिल हो गए और लोकसभा चुनाव में रायबरेली से सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ा। हालांकि उन्हें यहां से जीत नहीं मिली, लेकिन करीब चार लाख के लगभग वोट अपने खेमे में डालकर इन्होंने सबका ध्यान अपनी ओर खींच लिया।

योगी सरकार में मंत्री

योगी सरकार में कृषि विपणन और उद्यान मंत्री दिनेश बीते लोकसभा चुनाव में रायबरेली सीट पर चुनाव लड़े थे। हालांकि, सोनिया गांधी ने डेढ़ लाख से ज्यादा वोटों से हराया था। इस हार के बावजूद बीजेपी ने उन्हें एमएलसी और मंत्री भी बनाया।

कांग्रेस से विधान परिषद के सदस्य

कांग्रेस की ओर से रहे विधान परिषद दिनेश प्रताप सिंह साल 2010 में यूपी विधान परिषद के सदस्य बने थे। इसके बाद साल 2016 में भी वह कांग्रेस की ओर से विधान परिषद के सदस्य बने थे। रायबरेली में जिला पंचायत के चुनाव में बीजेपी को जीत दिलाने में दिनेश प्रताप सिंह का बड़ा योगदान रहा है। रायबरेली सीट पर उनकी छवि लोकप्रिय नेताओं में शामिल है।

रायबरेली से विदाई – दिनेश प्रताप ने दिया बयान

नकली गांधियों की विदाई तय- दिनेश प्रताप बीजेपी से टिकट मिलने के बाद उन्होंने कहा कि मैं गांधी परिवार में जन्म नहीं लिया हूं। मैंने चांदी के चम्मच से सोने की कटोरी में खाना नहीं खाया है। मैं गांव से जुड़ा आदमी हूं। उन्होंने आगे कहा कि इस बार रायबरेली से नकली गांधियों की विदाई होगी।

20 सालों तक लगातार रायबरेली से सांसद रही हैं सोनिया गांधी

सोनिया गांधी की बात करें, तो 2004 से लेकर 2024 वह रायबरेली की लगातार सांसद रहीं। 2004 के बाद 2006 उपचुनाव, उसके बाद 2009, इसके बाद 2014 और अंत में 2019 में सोनिया गांधी को बड़ी जीत मिली। हालांकि, इस साल सोनिया गांधी ने रायबरेली से चुनाव न लड़कर राज्यसभा जाने का फैसला किया। वे अभी राजस्थान से कांग्रेस की राज्यसभा सांसद हैं। इस बार भी इस सीट पर कांग्रेस की ओर से गांधी परिवार के ही किसी नेता को कैंडिडेट बनाने की मांग हो रही है।

राजनीतिक करियर

वह 2010 से उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य के रूप में कार्यरत हैं। 2010 और 2016 में उन्हें कांग्रेस के सदस्य के रूप में और 2022 में भाजपा के सदस्य के रूप में चुना गया था। उन्होंने 16वीं लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी के खिलाफ रायबरेली (लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र) से चुनाव लड़ा और इतिहास में किसी भी अन्य भाजपा उम्मीदवार की तुलना में उन्हें सबसे अधिक वोट मिले। रायबरेली (लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र) में जिला पंचायत परिणाम में भाजपा की जीत के पीछे एक प्रमुख राजनीतिक नेता के रूप में भी उनका योगदान रहा है ।

बता दें कि पहली बार वह 2004 में समाजवादी पार्टी की ओर से विधान परिषद के चुनाव में उतरे थे, लेकिन भाजपा के प्रत्याशी ने उनको चुनाव में शिकस्त दी। बाद में 2007 में बसपा के प्रत्याशी के तौर पर तिलोई विधानसभा से विधानसभा का चुनाव लड़े, लेकिन वहां भी इन्हें शिकस्त का सामना करना पड़ा।