ITR फाइलिंग का मतलब होता है ‘आयकर रिटर्न फाइलिंग’। यह एक प्रक्रिया है, जिसमें व्यक्ति अपनी आय की जानकारी और अन्य आर्थिक जानकारी को सरकार के साथ साझा करता है। भारतीय आयकर विभाग के अधीन इस प्रक्रिया को पूरा किया जाता है और यह आवश्यक है क्योंकि आयकर विभाग इसके माध्यम से व्यक्तियों की आय को निर्धारित करती है और उन्हें आयकर भरने के लिए कर का निर्धारण करती है।
टैक्स रेजिम कैसे भरा जाता है?
टैक्स राजिम को भरने के लिए, आपको निम्नलिखित कदमों का पालन करना होगा:
1. आयकर रिटर्न (ITR) फॉर्म चुनें: आपको अपना आयकर रिटर्न के लिए सही फॉर्म चुनना होगा जो आपकी आय और अन्य विवरणों को ध्यान में रखता है।
2. आय की जानकारी दर्ज करें: फॉर्म में अपनी आय की सभी जानकारी दर्ज करें, जैसे कि वेतन, व्यापारिक आय, निवेश, अन्य आय, आदि।
3. छूट और निवेश का लाभ दर्ज करें: यदि आपके पास कोई छूट या निवेश का लाभ है, तो इसे उपयोग करें और फॉर्म में दर्ज करें।
4. कर की गणना करें: आपको आयकर नियमों के अनुसार अपनी कुल कर की गणना करनी होगी। यह आपकी आय के आधार पर किया जाता है।
5. आयकर निर्धारण करें: अब आपको आयकर निर्धारण करना होगा जो आपको आयकर विभाग को देना होगा।
6. आयकर रिटर्न (ITR) फाइल करें: सभी जानकारी को दर्ज करने के बाद, आपको आयकर रिटर्न (ITR) फाइल करना होगा। आप इसे ऑनलाइन या ऑफलाइन दोनों तरीकों से कर सकते हैं।
7. कर का भुगतान करें: अगर आपके पास कोई कर का भुगतान करना होता है, तो आपको उसे समय पर करना होगा। यह निर्धारित करने के लिए आपको आयकर नियमों के अनुसार भुगतान करना होगा।
क्या FY 24 के लिए टैक्स regime बदल सकते हैं
FY 2024 के लिए टैक्स राजिम में किसी बदलाव की संभावना हो सकती है, लेकिन ऐसा हर साल नहीं होता है। सरकार किसी भी बदलाव को लागू करने से पहले विभिन्न प्राथमिकताओं को ध्यान में रखती है, जैसे कि आर्थिक स्थिति, अर्थव्यवस्था की स्थिरता, और सार्वजनिक परिस्थितियां। यह निर्णय आमतौर पर बजट के दौरान लिया जाता है, जो वार्षिक रूप से होता है।
क्या है नई टैक्स रेजिम?
वित्त वर्ष 2024 में नई कर व्यवस्था के तहत टैक्स स्लैब दर:
0 रुपए से 3 लाख रुपए तक 0% दर
3 लाख से 6 लाख रुपए तक 5% दर
6 लाख से 9 लाख रुपये तक 10%दर
9 लाख से 12 लाख रुपये तक 15%दर
12 लाख से 15 लाख रुपए तक 20 %दर
15 लाख से ऊपर तक 30% दर
वित्त वर्ष 2023-24 के लिए डिफ़ॉल्ट व्यवस्था नई कर व्यवस्था में बदल गई। अब यदि आप सभी कटौतियों, छूटों और हानियों का दावा करके पुरानी कर व्यवस्था के तहत रिटर्न दाखिल करना चाहते हैं, तो आपको नियत तारीख के भीतर दाखिल करना होगा। नियत तारीख के बाद आपको अनिवार्य रूप से अधिकांश कटौतियों और छूटों और सभी नुकसानों को छोड़कर नई व्यवस्था के तहत फाइल करना होगा।