चीन ने पाकिस्तान और अफगानिस्तान के साथ अपनी साझेदारी को और मजबूत करने के लिए चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर (CPEC) को अफगानिस्तान तक विस्तार देने की योजना की घोषणा की है। यह कदम उस समय उठाया गया है जब भारत और अफगानिस्तान के रिश्ते लगातार बेहतर हो रहे हैं। बीजिंग में पाकिस्तान और अफगानिस्तान के विदेश मंत्रियों के साथ हुई बैठक के बाद चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने यह अहम ऐलान किया।
बीजिंग में पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार, चीनी विदेश मंत्री वांग यी और अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी के बीच हुई बैठक में तीनों देशों के बीच व्यापार, बुनियादी ढांचे और विकास को बढ़ावा देने के विषय पर चर्चा की गई। बैठक के बाद इशाक डार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “पाकिस्तान, चीन और अफगानिस्तान क्षेत्रीय शांति, स्थिरता और विकास के लिए एकजुट हैं।”
भारत की आपत्ति
भारत ने हमेशा से CPEC के विस्तार पर अपनी आपत्ति जताई है। खासकर तब जब यह प्रोजेक्ट पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) से होकर गुजरता है। भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पहले भी कहा था कि यदि कोई देश CPEC में शामिल होता है तो वह जम्मू-कश्मीर में भारत की संप्रभुता का उल्लंघन करेगा। इस कारण भारत ने चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) में शामिल होने से इनकार किया था जो लगभग 60 बिलियन डॉलर का प्रोजेक्ट है।
चीन का नया कदम और इसका उद्देश्य
चीन की यह योजना अफगानिस्तान और भारत के बीच संबंधों में सुधार को देखकर उठाई गई है। हाल ही में अफगानिस्तान ने चाबहार पोर्ट में रुचि दिखाई है जिसे भारत ने ईरान के साथ मिलकर विकसित किया है। चीन के लिए यह चिंता का विषय बन गया है क्योंकि अफगानिस्तान और भारत के रिश्तों का मजबूत होना चीन के रणनीतिक हितों के खिलाफ हो सकता है। यही कारण है कि चीन ने तालिबान के साथ अपने संबंधों को और मजबूत किया और अफगानिस्तान को CPEC का हिस्सा बनाने का प्रस्ताव रखा।