ईरान-इजरायल संघर्ष थमा, लेकिन हमलों के साथ ईरान ने दी सख्त चेतावनी – ट्रंप की मध्यस्थता से हुआ सीजफायर लागू

संघर्षविराम लागू होने के कुछ ही घंटों बाद ईरान ने तीन बार मिसाइल हमले किए। इस हमले से इजरायल में चार नागरिकों की मौत हो गई। इसके बाद तेल अवीव समेत कई शहरों में सायरन बज उठे और लोग फिर से बंकरों में शरण लेने को मजबूर हो गए।

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ईरान-इजरायल संघर्ष

Highlights

  • सीजफायर लागू लेकिन खतरा अभी बाकी
  • इजरायल अलर्ट, 4 की मौत
  • ईरान ने संघर्षविराम के बाद भी दागीं मिसाइलें

12 दिनों से चल रहा ईरान और इजरायल के बीच का खौफनाक युद्ध अब आखिरकार थम गया है। लेकिन यह संघर्षविराम एक शांत समझौते से ज्यादा, रणनीतिक दबाव और चेतावनी का संकेत बनकर सामने आया है। ईरान के सरकारी टेलीविजन ने सीजफायर की पुष्टि की है, वहीं इजरायल ने भी देशभर में जारी अलर्ट को हटाकर नागरिकों को सुरक्षित स्थानों से बाहर निकलने की अनुमति दे दी है।

ट्रंप की मध्यस्थता से बनी सहमति

मध्यस्थता की बड़ी भूमिका अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने निभाई। उनके हस्तक्षेप के बाद दोनों देश संघर्षविराम पर सहमत हुए, जिसे भारतीय समयानुसार मंगलवार सुबह 9:30 बजे लागू किया गया। ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर जानकारी दी थी कि सीजफायर तीन चरणों में लागू होगा – पहले ईरान, फिर इजरायल और अंत में जंग पूरी तरह खत्म।

सीजफायर के बाद भी ईरान के मिसाइल हमले

हालांकि संघर्षविराम लागू होने के कुछ ही घंटों बाद ईरान ने तीन बार मिसाइल हमले किए। इस हमले से इजरायल में चार नागरिकों की मौत हो गई। इसके बाद तेल अवीव समेत कई शहरों में सायरन बज उठे और लोग फिर से बंकरों में शरण लेने को मजबूर हो गए। इस घटना ने सीजफायर को लेकर अनिश्चितता बढ़ा दी।

ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने कहा कि देश की सेना अंतिम क्षण तक अपने दुश्मनों को जवाब देने के लिए तैयार है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि ईरान किसी दबाव में नहीं बल्कि अपनी शर्तों पर युद्धविराम के लिए सहमत हुआ है।

ईरान को हुआ भारी नुकसान

13 जून से शुरू हुए इस युद्ध में ईरान को व्यापक सैन्य और रणनीतिक नुकसान हुआ है। अमेरिका ने ईरान की प्रमुख न्यूक्लियर साइट्स – फोर्डो, नतांज और इस्फहान पर बंकर बस्टर बम गिराए, जिससे परमाणु कार्यक्रम को भारी क्षति हुई है। इसके अलावा ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के चीफ हुसैन सलामी सहित कई शीर्ष सैन्य अधिकारी और वैज्ञानिक मारे गए हैं।