Highlights
- किरेन रिजिजू ने चीन की दखल की संभावना को खारिज किया
- गादेन फोडरंग ट्रस्ट ही करेगा अगले दलाई लामा का चयन
- चीन ने फिर दोहराया: उत्तराधिकारी की मंजूरी केंद्र सरकार देगी
भारत ने दलाई लामा (Dalai Lama) के उत्तराधिकारी को लेकर चीन के दावे पर कड़ा रुख अपनाया है। अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू (Kiren Rijiju) ने स्पष्ट किया कि दलाई लामा की परंपरा और उनकी इच्छा के अनुसार ही उनके उत्तराधिकारी का चयन होगा। उन्होंने कहा कि इस धार्मिक प्रक्रिया में किसी भी बाहरी देश की कोई भूमिका नहीं हो सकती।
यह बयान धर्मशाला में आयोजित दलाई लामा के 90वें जन्मदिन समारोह के दौरान दिया गया, जहां रिजिजू भारत सरकार के प्रतिनिधि के रूप में शामिल हुए। उन्होंने कहा, “यह एक पूरी तरह धार्मिक और आंतरिक मामला है, इसे राजनीति से जोड़ना अनुचित है।”
भारत ने दिया चीन को सख्त जवाब
पिछले कुछ समय से चीन लगातार यह कहता आ रहा है कि दलाई लामा का उत्तराधिकारी उसकी स्वीकृति और कानूनों के तहत ही तय किया जाएगा। इस पर भारत ने दो टूक जवाब देते हुए कहा कि यह पूरी प्रक्रिया तिब्बती बौद्ध परंपराओं के तहत तय होती है और इसमें सिर्फ दलाई लामा या उनकी संस्था गादेन फोडरंग ट्रस्ट (Gaden Phodrang Trust) की भूमिका होगी। गौरतलब है कि गादेन फोडरंग ट्रस्ट ने भी हाल ही में बयान जारी कर साफ कर दिया है कि 15वें दलाई लामा का चयन केवल ट्रस्ट द्वारा निर्धारित परंपरा से ही होगा।
चीन की नाराजगी और उसका दावा
दलाई लामा की घोषणा के बाद चीन ने फिर से अपना पुराना रुख दोहराया। चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा कि दलाई लामा के पुनर्जन्म (Reincarnation) की प्रक्रिया चीन के कानून, परंपराओं और ‘स्वर्ण कलश’ प्रक्रिया के तहत ही होगी और इसके लिए केंद्र सरकार की मंजूरी आवश्यक है।
दलाई लामा का ऐतिहासिक रुख
दलाई लामा पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि उनका उत्तराधिकारी होगा या नहीं, इसका फैसला पूरी तरह धार्मिक होगा और इसमें कोई राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं होगा। 2011 में उन्होंने राजनीतिक जिम्मेदारियों से खुद को अलग कर लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित तिब्बती निर्वासित सरकार को सत्ता सौंपी थी, लेकिन धार्मिक नेतृत्व उनके पास ही बना रहा।
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तिब्बती समुदाय की चिंता
तिब्बती समुदाय और मानवाधिकार कार्यकर्ता इस बात को लेकर चिंतित हैं कि चीन भविष्य में एक “सरकारी दलाई लामा” नियुक्त कर सकता है ताकि तिब्बत पर अपना नियंत्रण और मजबूत कर सके। इससे तिब्बती संस्कृति और धार्मिक स्वतंत्रता को सीधा खतरा हो सकता है।
भारत का समर्थन तिब्बती स्वायत्तता को बल
भारत का यह स्पष्ट रुख अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह संदेश देता है कि दलाई लामा जैसे आध्यात्मिक नेता की परंपरा और स्वतंत्रता को किसी राजनीतिक दबाव से नियंत्रित नहीं किया जा सकता। भारत ने एक बार फिर तिब्बती धार्मिक स्वायत्तता का समर्थन करते हुए चीन की दखल की कोशिशों को सिरे से खारिज कर दिया है।