Highlights
- चीन ने किरेन रिजिजू की टिप्पणी पर आपत्ति जताई
- चीन ने दोहराया ‘स्वर्ण कलश’ से उत्तराधिकारी चयन का फार्मूला
- धर्मशाला में दलाई लामा के 90वें जन्मदिन पर भारतीय मंत्री रहेंगे मौजूद
चीन एक बार फिर दलाई लामा के उत्तराधिकारी के मुद्दे पर भारत को धमकी देने के अंदाज में सामने आया है। बीजिंग ने भारत को तिब्बत से जुड़े मामलों पर सतर्क रहने की सलाह दी है। साथ ही कहा है कि इन मुद्दों से द्विपक्षीय रिश्तों पर असर नहीं पड़ना चाहिए।
शुक्रवार को चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू की टिप्पणी पर कड़ा ऐतराज जताया। उन्होंने कहा कि भारत को 14वें दलाई लामा की चीन-विरोधी भूमिका को समझना चाहिए। माओ निंग ने यह भी कहा कि भारत को अपने शब्दों और कामों में सावधानी बरतनी चाहिए। साथ ही चीन के आंतरिक मामलों में दखल नहीं देना चाहिए।
रिजिजू ने हाल ही में कहा था कि दलाई लामा के उत्तराधिकारी को लेकर फैसला सिर्फ दलाई लामा और उनकी संस्था ही लेगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि इसमें किसी अन्य देश या शक्ति की भूमिका नहीं हो सकती।
यह पहली बार है जब भारत सरकार के किसी वरिष्ठ मंत्री ने दलाई लामा के उत्तराधिकारी को लेकर खुलकर बयान दिया है। इससे पहले खुद दलाई लामा ने कहा था कि उनकी संस्था आगे भी जारी रहेगी। और उनके उत्तराधिकारी को केवल गादेन फोडरंग ट्रस्ट मान्यता देगा।
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गौरतलब है कि चीन इस पूरी प्रक्रिया को खारिज कर चुका है। वह कहता है कि दलाई लामा के उत्तराधिकारी का चयन उसकी ऐतिहासिक प्रक्रिया और स्वीकृति के आधार पर ही होगा। माओ ने चीन की वही पुरानी बात दोहराई कि उत्तराधिकारी चुनने के लिए ‘स्वर्ण कलश’ (Golden Urn) की प्रक्रिया अपनाई जाएगी। साथ ही इसे केंद्र सरकार की मंजूरी भी जरूरी होगी।
उन्होंने यह भी कहा कि मौजूदा 14वें दलाई लामा भी इसी प्रक्रिया के तहत चुने गए थे। 6 जुलाई को दलाई लामा का 90वां जन्मदिन है। इस मौके पर केंद्रीय मंत्री रिजिजू और राजीव रंजन सिंह धर्मशाला में कार्यक्रम में भाग लेंगे। मंत्री ने इसे पूरी तरह धार्मिक कार्यक्रम बताया है।