Highlights
- आज़ादी के बाद पहली बार सरकारी बस पहुंची मरकनार गांव
- तिरंगा लहराकर ग्रामीणों ने किया बस का स्वागत
- गढ़चिरौली पुलिस ने 420 KM सड़कें और 60 पुल बनाए
महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले का मरकनार गांव जो कभी नक्सलियों का गढ़ माना जाता था। अब यहाँ विकास की नई तस्वीर बन रहा है। आजादी के बाद पहली बार इस सुदूर आदिवासी गांव तक सरकारी बस सेवा पहुंची है। बुधवार को जब पहली बस गांव पहुंची तो लोगों ने झंडा लहराकर उसका स्वागत किया। इस ऐतिहासिक पल में ग्रामीणों की आंखों में खुशी साफ देखी जा सकती थी। गढ़चिरौली पुलिस और प्रशासन के लंबे प्रयासों के बाद यह मुमकिन हो पाया। इससे गांव के लगभग 1,200 लोगों को खास लाभ मिलेगा।
मरकनार गांव अबूझमाड़ की तलहटी में स्थित है और यहां अब तक की सबसे बड़ी दिक्कत कनेक्टिविटी की थी। अब यह गांव राज्य परिवहन सेवा के जरिए अहेरी से जुड़ गया है। खासतौर से छात्र, मरीज और दैनिक यात्रियों को इसका सबसे ज्यादा फायदा होगा। पुलिस अधीक्षक नीलोत्पल की पहल और निगरानी में यह सेवा शुरू हुई। यह केवल एक बस सेवा नहीं बल्कि एक संदेश है कि अब बदलाव की बयार गांव-गांव पहुंच रही है।
पुलिस की सुरक्षा में सड़कें बनीं
गढ़चिरौली पुलिस ने बीते पांच सालों में सुरक्षा और विकास को एक साथ आगे बढ़ाया है। जिले में 20 नई सड़कों और 60 पुलों का निर्माण किया गया है। इससे अब दूरदराज के इलाकों तक संपर्क आसान हुआ है। इसी कड़ी में जनवरी 2025 में गट्टा-गरदेवड़ा-वांगेतुरी मार्ग और अप्रैल में कटेझर से गढ़चिरौली के लिए बस सेवा शुरू की गई थी।
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यह क्षेत्र नक्सल प्रभाव से ग्रस्त रहा है। लेकिन अब यहां के लोग बदलाव देख रहे हैं। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह पहले ही 2026 तक नक्सलवाद को पूरी तरह खत्म करने का लक्ष्य रख चुके है और यह नई शुरुआत उसी दिशा में एक उम्मीद की किरण है।