Kargil Vijay Diwas: कारगिल युद्ध 1999 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुई सबसे बड़ी लड़ाइयों में से एक थी। युद्ध के शुरुआती दिनों में भारतीय थल सेना को कारगिल और लद्दाख की ऊंची चोटियों पर पाकिस्तानी सेना और घुसपैठियों के कब्जे से निपटने में भारी मुश्किलें आ रही थीं। सेनाध्यक्ष जनरल वेद प्रकाश मलिक का मानना था कि बिना वायुसेना के समर्थन के इन दुर्गम क्षेत्रों में सफलता पाना लगभग असंभव है। उन्होंने एक बंद कमरे की बैठक में साफ शब्दों में कहा कि कारगिल में लड़ रही सेना के लिए वायुसेना की मदद अनिवार्य है और इसके लिए वह कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (सीसीएस) के सामने वायुसेना प्रमुख का विरोध करने से भी नहीं हिचकिचाएंगे।
लेकिन तत्कालीन एयर चीफ मार्शल अनिल यशवंत टिपनिस इस निर्णय को लेकर ज्यादा उत्साहित नहीं थे। उनका मानना था कि वायुसेना की तैनाती से हालात बिगड़ सकते हैं और संघर्ष नियंत्रण से बाहर हो सकता है। स्थिति और जटिल तब हो गई जब सीसीएस और विदेश मंत्रालय ने भी शुरुआती दौर में वायुसेना के इस्तेमाल पर आपत्ति जताई। यहां तक कि विदेश मंत्री जसवंत सिंह भी इस फैसले के विरोध में खड़े हो गए।
वाइस चीफ ऑफ एयरस्टाफ ने किया था सपोर्ट
इस बीच तत्कालीन वाइस चीफ ऑफ एयरस्टाफ चंद्रशेखर ने जनरल मलिक का समर्थन किया और कारगिल में वायुसेना भेजने की पुरजोर सिफारिश की। उनका कहना था कि इस अपमानजनक स्थिति में वायु शक्ति का इस्तेमाल जरूरी है। फिर भी सीसीएस ने उनका प्रस्ताव ठुकरा दिया और तर्क दिया कि इससे भारत-पाक के बीच तनाव और बढ़ सकता है और ट्रैक-2 संवाद की संभावनाएं खत्म हो सकती हैं।
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कारगिल युद्ध में वायुसेना के इस्तेमाल के खिलाफ एक बड़ी चुनौती पाकिस्तान से आ रही थी। पाकिस्तानी सेना के प्रमुख जनरल परवेज मुशर्रफ ने पहले ही चेतावनी दी थी कि अगर भारत ने एयर पावर या मिसाइल का इस्तेमाल किया तो पाकिस्तान जवाबी कार्रवाई करेगा। वीपी मलिक के अनुसार, यही धमकी भारतीय पक्ष के लिए ‘रामबाण’ साबित हुई। उन्होंने इस खतरे को राजनीतिक नेतृत्व के सामने रखकर सीमित हवाई हमले की अनुमति हासिल कर ली।
आखिरकार वायुसेना को सीमित दायरे में युद्ध में शामिल होने की मंजूरी मिली। हालांकि शुरुआत में नुकसान उठाना पड़ा। लेकिन बाद में वायुसेना की सटीक बमबारी ने पाकिस्तानी सेना को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया। यह निर्णय कारगिल युद्ध में भारत की निर्णायक जीत की दिशा में सबसे अहम साबित हुआ। इसके बाद हर साल भारतीय सेना Kargil Vijay Diwas को मना रही है।