मालेगांव ब्लास्ट केस: सभी आरोपी बरी, पीड़ित परिवारों ने कहा – अगर ये दोषी नहीं तो असली गुनहगार कौन?

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मालेगांव ब्लास्ट केस
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Highlights

  • मालेगांव ब्लास्ट केस के सभी 7 आरोपी अदालत से बरी
  • पीड़ित परिवारों ने जताई नाराजगी – “न्याय नहीं मिला”
  • अब परिवारों ने सुप्रीम कोर्ट जाने की उठाई मांग

2008 में महाराष्ट्र के मालेगांव में हुए बम धमाके के मामले में अदालत ने बड़ा फैसला सुनाया है। एनआईए (NIA) की विशेष अदालत ने इस केस में नामजद सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि उनके खिलाफ कोई भी ठोस और भरोसेमंद सबूत नहीं मिले हैं।

यह फैसला आते ही पीड़ित परिवारों की तरफ से नाराजगी जताई गई है। फिरोज अहमद आज़मी, जो पीड़ित परिवारों की मदद कर रहे हैं, उन्होंने कहा – अगर ये लोग दोषी नहीं थे तो फिर 6 बेगुनाह लोगों की जान किसने ली?

29 सितंबर 2008 को मालेगांव की एक मस्जिद के पास मोटरसाइकिल में रखे गए विस्फोटक में धमाका हुआ था। इस हादसे में 6 लोगों की जान चली गई थी और 100 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। इस ब्लास्ट की जांच पहले महाराष्ट्र ATS और बाद में NIA ने की थी।

आज़मी ने बताया कि 2008 के बाद हेमंत करकरे की अगुवाई में जांच सही दिशा में थी। उन्होंने सबूत भी पेश किए थे। उन्होंने कहा कि 17 साल से एजेंसियां काम कर रही थीं। उनके पास सबूत होंगे ही, लेकिन फिर भी कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया जो हैरान करने वाला है।

इस केस में जिन लोगों को बरी किया गया है, उनमें बीजेपी की पूर्व सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित जैसे नाम भी शामिल हैं। कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष यानी सरकार और जांच एजेंसियों की तरफ से मामला ठीक से नहीं पेश किया गया और इसमें कई खामियां थीं। इसलिए आरोपी संदेह का लाभ पाने के हकदार हैं।

अब सवाल ये उठ रहे हैं कि अगर ये आरोपी नहीं थे तो फिर असली गुनहगार कौन है? आज़मी और पीड़ित परिवारों ने मांग की है कि सरकार सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाए और असली दोषियों को सजा दिलवाए।