सावन महीने में हर मंगलवार को मंगला गौरी व्रत (Mangla Gauri Vrat) रखा जाता है। विवाहित महिलाओं के लिए यह व्रत बहुत ही पवित्र और फलदायक माना गया है। यह व्रत पति की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और सुखी दांपत्य जीवन की कामना के लिए किया जाता है। 2025 में 5 अगस्त को सावन का आखिरी मंगला गौरी व्रत होगा।
यह व्रत न केवल सुहागिनें बल्कि अविवाहित कन्याएं भी करती हैं ताकि उन्हें योग्य जीवनसाथी मिल सके। खास बात यह है कि इस व्रत का उद्यापन भी सावन माह में ही किया जाता है। आइए जानें मंगला गौरी व्रत की पूजन विधि, शुभ मुहूर्त और उद्यापन की संपूर्ण जानकारी।
मंगला गौरी व्रत का महत्व
सावन के हर मंगलवार को रखा जाने वाला यह व्रत महिलाओं के सौभाग्य को बढ़ाने वाला माना गया है। पारंपरिक मान्यताओं के अनुसार, जो स्त्रियां यह व्रत करती हैं उन्हें वैवाहिक जीवन में सुख-शांति और पति का साथ लंबे समय तक मिलता है। यह व्रत माता पार्वती को समर्पित होता है।
व्रत की विधि
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और लाल वस्त्र धारण करें। भगवान शिव और मां पार्वती की प्रतिमा या फोटो को लाल कपड़े से सजी चौकी पर स्थापित करें। मां को सुहाग सामग्री अर्पित करें और भगवान शिव का अभिषेक करें। पूजा में धूप, दीप, पुष्प, नैवेद्य आदि का प्रयोग करें। “श्रीमंगलागौर्यै नमः” मंत्र का जाप करें और व्रत कथा पढ़ें। 16 दीपों से आरती कर पति के साथ मिलकर हवन करें।
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जो महिलाएं लगातार 16 मंगला गौरी व्रत करती हैं, वे 17वें या 21वें व्रत पर उद्यापन कर सकती हैं। यह व्रत चार वर्षों तक किया जाता है और पांचवें साल इसका विधिवत समापन होता है। उद्यापन सावन माह के शुक्ल पक्ष के मंगलवार को करना शुभ होता है।
उद्यापन की विधि
उद्यापन के दिन भी व्रत रखें। पूजा की पूरी तैयारी करें और शिव-पार्वती की प्रतिमा के समक्ष विशेष पूजा करें। सुहाग सामग्री के साथ देवी को भेंट दें और आरती करें। जरूरतमंद व्यक्ति को भोजन, वस्त्र या अन्य सामग्री का दान करें।
5 अगस्त 2025 के शुभ मुहूर्त
- ब्रह्म मुहूर्त: 04:20 AM – 05:02 AM
- अभिजित मुहूर्त: 12:00 PM – 12:54 PM
- विजय मुहूर्त: 02:41 PM – 03:35 PM
- गोधूलि मुहूर्त: 07:09 PM – 07:30 PM
- सायाह्न संध्या: 07:09 PM – 08:13 PM
- रवि योग: 05:45 AM – 11:23 AM