इस साल बारिश और भूस्खलन (landslides) ने ऐसी तबाही मचाई है कि कई धार्मिक यात्राएं बीच रास्ते ही रुक गई हैं। लाखों श्रद्धालुओं के लिए यह गहरी निराशा का समय है, क्योंकि प्रशासन को मजबूरी में सुरक्षा कारणों से रूट बंद करने पड़े। मौसम की मार ने आस्था की राह रोक दी और लोगों की उम्मीदें अधूरी रह गईं।
Vaishno Devi Yatra 8 दिनों तक स्थगित
जम्मू-कश्मीर में वैष्णो देवी यात्रा लगातार आठवें दिन भी बंद है। भारी बारिश और भूस्खलन के खतरे ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है। प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुरक्षा को देखते हुए होटलों और धर्मशालाओं तक खाली कराने के आदेश दिए। इससे पहले 2020 में कोरोना महामारी के कारण यह यात्रा छह महीने तक रुकी थी, लेकिन इस बार प्राकृतिक आपदा ने श्रद्धालुओं की राह रोकी है।
उत्तराखंड में चारधाम यात्रा (बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री) पर 5 सितंबर तक रोक लगा दी गई है। लगातार बारिश और मलबा गिरने से रास्ते बंद हो गए हैं। मौसम विभाग ने राज्य में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है। इसके साथ ही हेमकुंड साहिब यात्रा भी रोक दी गई है।
हर साल लाखों श्रद्धालु अमरनाथ यात्रा करते हैं, लेकिन इस बार यात्रा समय से पहले ही रोक दी गई। यह यात्रा 9 अगस्त तक चलनी थी, लेकिन खराब मौसम की वजह से 3 अगस्त को ही इसे समाप्त करना पड़ा। इस दौरान करीब 4.14 लाख श्रद्धालुओं ने दर्शन किए।
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आदि कैलाश धाम यात्रा बंद
उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में स्थित आदि कैलाश धाम तक जाने का रास्ता भी भूस्खलन से बंद पड़ा है। समुद्र तल से 5,945 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस तीर्थ तक मानसून में पहुंचना और चुनौतीपूर्ण हो जाता है। इसी साल मई में बड़े भूस्खलन की वजह से यात्री और स्थानीय लोग फंस गए थे। अब 15 सितंबर से इनर लाइन परमिट जारी होने के बाद यात्रा का दूसरा चरण शुरू किया जाएगा।
देशभर से आए श्रद्धालु अब सिर्फ मौसम सुधरने का इंतजार कर रहे हैं। कई लोग यात्रा स्थलों पर ही रुके हुए हैं, जबकि कुछ वापस लौट गए हैं। प्रशासन लगातार हालात पर नजर रखे हुए है और सुरक्षा को प्राथमिकता दे रहा है। प्रकृति के आगे इंसान की योजना कितनी भी बड़ी क्यों न हो, एक बार फिर आस्था की राह बारिश और भूस्खलन ने रोक दी है।