प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस साल न्यूयॉर्क में होने वाली संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) की बैठक में शामिल न होने का फैसला लिया है। अब उनकी जगह विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे। कूटनीतिक सूत्रों का कहना है कि यह फैसला अचानक नहीं लिया गया, बल्कि इसकी संभावना पहले से जताई जा रही थी।
भारत-अमेरिका व्यापार विवाद की वजह
हाल ही में अमेरिका ने भारत पर नई टैरिफ पॉलिसी लागू की है। रूस से सस्ते दामों पर तेल खरीदने को लेकर अमेरिका ने भारत पर 25% टैरिफ लगाया है। यही नहीं, भारतीय निर्यातकों को अमेरिकी बाजार में 50% तक टैक्स देना पड़ रहा है। इन फैसलों ने दोनों देशों के बीच रिश्तों में तनाव बढ़ा दिया है। ऐसे माहौल में पीएम मोदी का दौरा टालना एक सोची-समझी रणनीति मानी जा रही है।
26 सितंबर को UNGA में भारत की ओर से भाषण का स्लॉट तय था। अब यह जिम्मेदारी विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर संभालेंगे। यह पहली बार नहीं है जब प्रधानमंत्री की जगह विदेश मंत्री ने प्रतिनिधित्व किया हो। बीते वर्षों में भी कई मौकों पर ऐसा हो चुका है।
BRICS सम्मेलन पर भी फोकस
डॉ. जयशंकर अगले सप्ताह BRICS शिखर सम्मेलन में भी शामिल होंगे। इस बार बैठक वर्चुअल होगी और ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला दा सिल्वा इसकी अध्यक्षता करेंगे। इसमें अमेरिका की टैरिफ नीतियों से जुड़े संकट और व्यापारिक चुनौतियों पर चर्चा होगी। भारत के साथ चीन, रूस, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, इंडोनेशिया, ईरान और यूएई भी इसमें शामिल होंगे।
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भारत का संदेश
मोदी का UNGA में न जाना यह संकेत देता है कि भारत अपनी प्राथमिकताओं को लेकर स्पष्ट है। व्यापार विवादों और टकराव के बावजूद, भारत वैश्विक मंचों पर सक्रिय रहेगा। विदेश मंत्री जयशंकर का प्रतिनिधित्व यह दर्शाता है कि भारत न सिर्फ आर्थिक मोर्चे पर बल्कि कूटनीतिक स्तर पर भी अमेरिका की नीतियों का संतुलित जवाब देने की तैयारी कर चुका है।