पंजाब में बाढ़ से मचा हाहाकार, 48 की मौत, डेंगू-हैजा जैसी बीमारियां फैलने का खतरा बढ़ा

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पंजाब में बाढ़ का पानी धीरे-धीरे कम हो रहा है, लेकिन प्रभावित लोगों की परेशानियाँ अभी खत्म नहीं हुई हैं। राज्य स्वास्थ्य विभाग ने पहले ही चेतावनी जारी कर दी है कि बाढ़ के बाद रोगों का खतरा बढ़ गया है। अधिकारियों के अनुसार, स्वच्छ पेयजल की कमी, असुरक्षित भोजन, लंबे समय तक बाढ़ के पानी के संपर्क में रहने और सफाई की कमी के कारण डेंगू, हैजा, टाइफाइड, दस्त और हेपेटाइटिस ए व ई जैसी बीमारियाँ फैल सकती हैं। अब सामान्य जल स्रोत भी सुरक्षित नहीं माने जा रहे हैं।

राज्य में भीषण बाढ़ की वजह से अब तक 48 लोगों की मौत हो चुकी है। लगभग 1.76 लाख हेक्टेयर क्षेत्र की फसलें पूरी तरह बर्बाद हो गई हैं। शिक्षा मंत्री हरजोत बैंस ने घोषणा की है कि राज्य में सभी स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय 8 सितंबर से खुलेंगे। हालांकि, जिन संस्थानों को बाढ़ से नुकसान पहुँचा है, उन्हें बंद रखने का फैसला स्थानीय उपायुक्त करेंगे। सरकारी स्कूलों में कक्षाएँ 9 सितंबर से शुरू होंगी।

राज्य सरकार ने 219 राहत शिविर बनाए

जल स्तर में कमी की राहत वाली खबर भी सामने आई है। पोंग बांध का जलस्तर दो फुट घटकर 1,392.20 फुट पर आ गया है, लेकिन यह अब भी अधिकतम सीमा 1,390 फुट से ऊपर है। वहीं, सतलुज नदी पर बने भाखड़ा बांध का जलस्तर रविवार को 1,677.98 फुट दर्ज किया गया। पानी का प्रवाह 66,891 क्यूसेक और निकासी 70,000 क्यूसेक रही। इससे नदी का स्तर तो कम हो रहा है, लेकिन खतरा पूरी तरह टला नहीं है।

राज्य सरकार ने बाढ़ से प्रभावित लोगों के लिए 219 राहत शिविर बनाए हैं, जहाँ 5,400 से अधिक लोगों को शरण दी गई है। साथ ही, पठानकोट जिले में तीन लोग अब भी लापता हैं। यह बाढ़ पंजाब में कई दशकों में आई सबसे बड़ी आपदा मानी जा रही है। सतलुज, ब्यास और रावी नदियों में उफान, साथ ही हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में भारी बारिश ने हालात को और बिगाड़ दिया।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने लोगों से अपील की है कि वे साफ पानी का उपयोग करें। असुरक्षित भोजन से बचें और बाढ़ के पानी में अधिक समय तक न रहें। साथ ही, स्थानीय प्रशासन ने प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्य तेज कर दिए हैं। लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है। पंजाब इस समय प्राकृतिक आपदा के साथ-साथ स्वास्थ्य संकट से भी जूझ रहा है।