9 सितंबर को होने वाले उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है। केंद्र की सत्तारूढ़ एनडीए पहले से ही जीत को लेकर आश्वस्त थी, लेकिन अब उसे और मजबूती मिलती दिख रही है। एनडीए के उम्मीदवार सी पी राधाकृष्णन को आंध्र प्रदेश की पार्टी वाईएसआर कांग्रेस का समर्थन मिल गया है। वाईएसआरसीपी के अध्यक्ष जगन मोहन रेड्डी ने चुनाव से ठीक पहले एनडीए के पक्ष में वोट देने का ऐलान कर दिया। इससे एनडीए के पक्ष में 11 अतिरिक्त वोट बढ़ गए हैं, जिससे उनकी जीत लगभग तय मानी जा रही है। वाईएसआर कांग्रेस के पास लोकसभा में चार और राज्यसभा में सात सांसद हैं, जो सीधे एनडीए की ताकत को बढ़ाते हैं।
इस समर्थन से पहले एनडीए के लिए चुनौती बनी हुई थी, लेकिन अब स्थिति पूरी तरह उनके पक्ष में जा रही है। राजनीतिक गलियारों में इस फैसले को लेकर चर्चाएं तेज हैं। वहीं विपक्ष ने इसे विश्वासघात करार दिया है। कांग्रेस नेता मणिकम टैगोर ने कहा कि जगन मोहन रेड्डी ने आंध्र प्रदेश के हितों की बजाय व्यक्तिगत डर को प्राथमिकता दी है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि यह लोकतांत्रिक ताकतों से समझौता करने जैसा है। उन्होंने सभी सांसदों से संविधान और देशहित के पक्ष में मतदान करने की अपील की।
चुनाव की प्रक्रिया और समीकरण
उपराष्ट्रपति चुनाव में सिर्फ संसद सदस्य वोट करते हैं। राज्यसभा में 233 निर्वाचित और 12 मनोनीत सदस्य तथा लोकसभा में 543 निर्वाचित सदस्य मतदान करेंगे। कुल मिलाकर 781 सदस्य मतदान में भाग लेंगे। वोटों की गिनती अलग तरीके से होती है, जिसमें प्राथमिकता के आधार पर मतों को गिना जाता है। एनडीए के पास लोकसभा में 293 सांसद हैं जबकि राज्यसभा में 125 सदस्य हैं। वाईएसआरसीपी के समर्थन से एनडीए का आंकड़ा 434 तक पहुंच सकता है, जबकि विपक्ष के पास 320 वोटों की संभावना है। इस तरह एनडीए की जीत की राह लगभग साफ मानी जा रही है।
दोनों उम्मीदवार दक्षिण भारत से
इस बार उपराष्ट्रपति पद के लिए दोनों उम्मीदवार दक्षिण भारत से हैं। एनडीए के उम्मीदवार सी पी राधाकृष्णन तमिलनाडु से हैं जबकि विपक्ष के साझा उम्मीदवार बी सुदर्शन रेड्डी तेलंगाना से। चुनाव की यह लड़ाई सिर्फ पद की नहीं बल्कि राजनीतिक समीकरणों और विचारधाराओं की भी कसौटी बन गई है।
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आगे क्या?
एनडीए अब पूरे आत्मविश्वास के साथ मैदान में है। वाईएसआर कांग्रेस के समर्थन से उसकी स्थिति और मजबूत हो गई है। वहीं विपक्ष इसे लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला बता रहा है। 9 सितंबर को मतदान के बाद साफ हो जाएगा कि किसकी रणनीति कामयाब रही। फिलहाल एनडीए का पलड़ा भारी है, और सी पी राधाकृष्णन की जीत लगभग तय मानी जा रही है।