अमेरिका में H-1B वीज़ा फीस पर बवाल, कांग्रेस ने पीएम मोदी पर साधा निशाना

0

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने H-1B वीज़ा को लेकर बड़ा फैसला किया है। अब इस वीज़ा के लिए कंपनियों को हर साल 1 लाख डॉलर यानी लगभग 88 लाख रुपये चुकाने होंगे। पहले इसकी फीस करीब 6 लाख रुपये थी। ट्रंप प्रशासन के इस कदम से भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स पर गहरा असर पड़ सकता है।

कांग्रेस ने इस फैसले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए उन्हें कमजोर प्रधानमंत्री बताया है। पार्टी ने कहा कि ट्रंप का यह कदम सीधे तौर पर भारत को नुकसान पहुंचाएगा, क्योंकि इससे अमेरिका में नौकरी के अवसर घटेंगे और भारत आने वाला विदेशी मुद्रा प्रवाह भी प्रभावित होगा।

राहुल गांधी और कांग्रेस नेताओं का हमला

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा कि यह फैसला एक बार फिर साबित करता है कि भारत का प्रधानमंत्री कमजोर है। उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार अमेरिकी राष्ट्रपति के सामने देशहित से जुड़े मुद्दे उठाने में नाकाम रही है।

लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (X) पर लिखा कि यह फैसला भारत के सबसे प्रतिभाशाली युवाओं के भविष्य पर चोट करेगा। उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी जी केवल शोर-शराबा और प्रचार पर ध्यान देते हैं, जबकि असली रणनीतिक मुद्दों पर चुप्पी साध लेते हैं।

पार्टी प्रवक्ता पवन खेड़ा ने 2017 की याद दिलाते हुए कहा कि राहुल गांधी ने उसी समय H-1B वीज़ा को लेकर चेतावनी दी थी, लेकिन मोदी सरकार ने तब कोई ठोस पहल नहीं की। उन्होंने प्रधानमंत्री पर तंज कसते हुए कहा कि आज भी भारत एक कमजोर नेतृत्व के अधीन है।

ट्रंप का तर्क और असर

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि H-1B वीज़ा का दुरुपयोग हो रहा है और यह अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है। इसी आधार पर उन्होंने आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं जिसके तहत कंपनियों को अब इस वीज़ा के लिए सालाना 1 लाख डॉलर शुल्क देना होगा।

विशेषज्ञों का मानना है कि इस निर्णय से भारत की बड़ी आईटी कंपनियों को झटका लगेगा, जो पहले से ही छंटनी और लागत कम करने जैसी चुनौतियों से जूझ रही हैं। वहीं, लाखों भारतीय युवाओं के लिए अमेरिका में करियर बनाने का सपना और मुश्किल हो जाएगा।