पेट्रोल और डीजल के बाद अब आया इथेनॉल, अब कम लागत से चलाई जाएंगी कारें

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पेट्रोल और डीजल
पेट्रोल और डीजल

नई दिल्ली। गाड़ियों के भविष्य में बड़ा बदलाव आ रहा है। अब पेट्रोल और डीजल के इंजनों के साथ एथेनॉल से चलने वाले इंजनों का उपयोग होने लगा है। यह एक प्रकार की ऊर्जा उत्पादन की तकनीक है, जिसमें फसलों जैसे कि अनाज, गेहूं, या गन्ना, का उपयोग किया जाता है। एथेनॉल की एक बड़ी खासियत यह है कि यह पर्यावरण के लिए नुकसानदायक नहीं है।

पेट्रोल और डीजल से होने वाले वायु प्रदूषण की तुलना में एथेनॉल से बने कार्बन गैस पर्यावरण को कम हानि पहुंचाता है। इसके साथ ही यह इंजनों के लिए अधिक सुरक्षित भी होता है। फ्लेक्स-फ्यूल कारें पेट्रोल या डीजल कारों की तुलना में कम लागत में चलाई जा सकती हैं। एथेनॉल का उत्पादन स्थानीय फसलों से किया जा सकता है, जिससे यह और भी सस्ता हो जाता है। एथेनॉल का उत्पादन करते समय हम विभिन्न प्रकार की फसलों का इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे कृषि क्षेत्र में नौकरियों की और भी वृद्धि होती है।

भारत के लिए जैव ईंधन परिवर्तन का मतलब क्या है?

भारत अपने ईंधन की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए तेल के आयात पर निर्भर है, जिससे राज्य कोष में बड़ा दबाव होता है। नितिन गडकरी के अनुसार, वर्तमान में पेट्रोलियम के आयात का बिल लगभग ₹ 16 लाख करोड़ है और अगर हम गन्ने जैसी पौधों से प्राप्त एथेनॉल जैव ईंधन विकल्पों को चुनते है तो तेल के आयात बिल को कम किया जा सकता है, जिससे देश अपनी ईंधन की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अधिक आत्मनिर्भर बन सकता है। हम अगर आत्मनिर्भर बनना चाहते हैं तो हमें तेल के आयात को शून्य पर ले जाना होगा। वर्तमान में यह ₹ 16 लाख करोड़ है। यह अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा नुकसान है।

उपयोग में सरलता

एथेनॉल फ्लेक्स-फ्यूल कारें पेट्रोल और डीजल की तुलना में अधिक उपयोग में सरल होती हैं। ये कारें एक साथ इथेनॉल और पेट्रोल या डीजल दोनों का उपयोग कर सकती हैं, जो उपयोगकर्ताओं को अधिक विकल्प प्रदान करता है।

इस तरह अगर हम एथेनॉल फ्लेक्स-फ्यूल कार को चुनते है तो भारत में पेट्रोल और डीजल कारों के मुकाबले एक साथ पर्यावरण, आर्थिक और कृषि क्षेत्र में अनेक लाभ प्रदान कर सकती हैं ये एथेनॉल फ्लेक्स-फ्यूल विकल्प वाली कार।