केरल सरकार ने मंगलवार (7 मई) को राज्य में वेस्ट नाइल फीवर को लेकर अलर्ट जारी किया है। US के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक, यह बीमारी मच्छरों के काटने से होती है। फीवर के साथ उल्टी, दस्त और सिरदर्द की शिकायत होती है। वेस्ट नाइल फीवर के 10 में से 6 मामले में लक्षण नहीं दिखते हैं। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग ने मरीजों का कोई ऑफिशियल डाटा शेयर नहीं किया है।
वेस्ट नाइल फीवर
डॉ. आर के चतुर्वेदी के अनुसार वेस्ट नाइल वायरस आमतौर पर अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, मध्य पूर्व के क्षेत्रों और अमेरिका में पाया जाता है। भारत में इसका बहुत कम चांस होता है कि वेस्ट नाइल फीवर के मरीज पाए जाएं। लेकिन नॉर्थ ईस्ट में थोड़े बहुत इसके मरीज मिल जाते हैं। केरल स्वास्थ्य विभाग ने अलर्ट जारी किया हैं। यहां के मलप्पुरम, कोझिकोड और त्रिशूर जिलों में वेस्ट नाइल बुखार से पीड़ित मरीज मिल रहे हैं।
यहां पर गर्मी अधिक पड़ती है और यह एक प्रकार का मच्छरों द्वारा फैलने वाला वायरस है। लेकिन यह बहुत ही खतरनाक वायरस है, क्योंकि यह ब्रेन को तुरंत अपने चपेट में लेता है जो भी हमारे शरीर में नाजुक एरिया हैं उसे यह वायरस अपने चपेट में लेता है। जिन व्यक्तियों में इम्युनिटी बहुत कमजोर है उन्हें यह बुखार होने का चांस सबसे अधिक होता है।
वेस्ट नाइल एक प्रकार का वायरस है जो मच्छर के काटने से फैलता है। वेस्ट नाइल वायरस से संक्रमित अधिकांश लोगों में लक्षण स्पष्ट दिखाई नहीं देते हैं। लगभग 5 में से 1 व्यक्ति में बुखार, दाने और मांसपेशियों में दर्द जैसे लक्षण होते हैं। शायद ही, वेस्ट नाइल मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी में गंभीर सूजन (एन्सेफलाइटिस और मेनिनजाइटिस) का कारण बन सकता है।
दिमाग को नुकसान
अधिकतर लोगों में वेस्ट नाइल वायरस की वजह से हल्के लक्षण ही नजर आते हैं, लेकिन संक्रमित होने वाले लगभग 150 में से 1 व्यक्ति में इसके लक्षण गंभीर भी हो सकते हैं। यह वायरस नर्वस सिस्टम को नुकसान पहुंचाता है। इसकी वजह से से एन्सेफलाइटिस की समस्या हो सकती है। अगर इस वायरस से संक्रमित व्यक्ति में ये परेशानियां होने लगती हैं तो उसकी जान को खतरा हो सकता है। इससे ब्रेन के फंक्शन पर भी असर पड़ता है।
वेस्ट नाइल वायरस के लक्षण
1.बुखार।
2.सिरदर्द।
3.मांसपेशियों में दर्द होता है .
4.समुद्री बीमारी और उल्टी।
5.दस्त ।
6.दाने (आमतौर पर आपकी छाती और पीठ के आसपास केंद्रित)।
7.सूजी हुई लसीका ग्रंथियां।
8.गला खराब होना।
केरल में क्यों फैल रहा?
डॉ किशोर कहते हैं कि वेस्ट नाइल कोई नया वायरस नहीं है। यह पुरानी बीमारी है। युगांडा में इसके केस दशकों पहले आ चुके हैं। अब केरल में यह वायरस एक्टिव हो गया है। इस वायरस के केस केरल में सबसे पहले सामने आए हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि केरल राज्य में किसी भी तरह के वायरस की पहचान के लिए जीनोम सीक्वेंसिंग चलती रहती है। ऐसा हो सकता है कि किसी देश से इस वायरस का कोई संक्रमित मरीज केरल आया होगा और फिर जांच में इस वायरस की पुष्टि हुई है।
भारत में वेस्ट नाइल बुखार
भारत के केरल राज्य में 2011 में पहली बार वेस्ट नाइल बुखार का पता चला था। 2019 में मलप्पुरम के एक छह साल की लड़के की मौत वेस्ट नाइल फीवर से हुआ था। फिर मई साल 2022 में त्रिशूर जिले में वेस्ट नाइल से 47 वर्षीय व्यक्ति की मौत हो गई थी।
पहली बार कब खोजा गया?
यह वायरस 1937 में युगांडा में खोजा गया था और पहली बार 1999 में उत्तरी अमेरिका में पाया गया था। डब्ल्यूएनवी यूरोप, अफ्रीका, एशिया, ऑस्ट्रेलिया और उत्तरी अमेरिका में हुआ है। संयुक्त राज्य अमेरिका में हर साल हजारों मामले सामने आते हैं, जिनमें से अधिकांश अगस्त और सितंबर में होते हैं। यह बीमारी के फैलने पर हो सकता है। घोड़ों में गंभीर बीमारी भी हो सकती है, जिसके लिए टीका उपलब्ध है। पक्षियों में एक निगरानी प्रणाली संभावित मानव प्रकोप का शीघ्र पता लगाने के लिए उपयोगी है।