Highlights
- बोतलबंद पानी की शुरुआत रोमन साम्राज्य से हुई।
- यूरोपीय स्पा शहरों ने इसे व्यापार में बदला।
- अमेरिका में 1767 से बोतलों में पानी बेचना शुरू हुआ।
आज हम कहीं भी जाते हैं तो सबसे आसानी से मिलने वाली चीज़ है – बोतलबंद पानी। रेलवे स्टेशन हो, एयरपोर्ट, बस स्टॉप या फिर किसी रेस्टोरेंट की मेज़, हर जगह मिनरल वॉटर की बोतल आम दृश्य है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि पानी को बोतल में बंद करके बेचने की शुरुआत कब और कैसे हुई? इसका इतिहास चौंकाने वाला है और बहुत पुराना भी।
पहला सबूत रोमन साम्राज्य से मिलता है
इतिहासकारों के अनुसार, पानी को किसी बर्तन में भरकर दूर तक ले जाने का पहला सबूत रोमन साम्राज्य से मिलता है। उस दौर में लोग झरनों का पानी मिट्टी के बर्तनों में भरकर दूसरी जगह बेचते थे। कांच उस समय मौजूद था, लेकिन बहुत महंगा था। इसलिए बोतलबंद पानी का शुरुआती रूप मिट्टी या चीनी मिट्टी के बर्तनों में ही देखा गया।
पाँचवीं शताब्दी तक यूरोप और मध्य पूर्व में लोग तीर्थस्थलों से पवित्र जल अपने साथ ले जाते थे। आयरलैंड में तो 3,000 से ज्यादा ऐसे पवित्र कुएं थे, जिनका पानी लोग खास बर्तनों में भरकर घर ले जाते थे। इस पानी को बीमारियों के इलाज और स्वास्थ्य लाभ से जोड़ा जाता था।
यूरोपीय स्पा शहर और मिनरल वॉटर
14वीं से 18वीं शताब्दी के बीच यूरोप में स्पा शहरों का चलन बढ़ा। गंदे और बीमारियों से भरे शहरों से दूर, लोग इन जगहों पर जाकर साफ पानी पीते और स्नान करते थे। धीरे-धीरे यह अमीरों के लिए एक स्टेटस सिंबल बन गया। जब कांच का उत्पादन सस्ता हुआ तो स्पा से बोतलों में पानी भरकर शहरों तक लाया जाने लगा।
स्लोवेनिया का रोगास्का स्लातिना शहर इस उद्योग का शुरुआती केंद्र माना जाता है। यहां 16वीं शताब्दी में कांच के कारखाने बने और 18वीं सदी के अंत तक हर साल हज़ारों कांच की बोतलें पानी से भरकर बेची जाने लगीं।
अमेरिका में बोतलबंद पानी
अमेरिका में बोतलबंद पानी की शुरुआत 18वीं सदी में हुई। 1767 में बोस्टन का जैक्सन स्पा शुरुआती स्थानों में से था। यहां झरनों का पानी बोतलों में भरकर बेचा जाता था। उस दौर में थॉमस जेफरसन और जॉर्ज वॉशिंगटन जैसे बड़े नेता भी मिनरल वाटर पीने के शौकीन थे। 19वीं और 20वीं शताब्दी में बोतलबंद पानी को स्वास्थ्य लाभ से जोड़कर देखा जाता रहा। डॉक्टर और फार्मेसी भी इसे लोगों तक पहुँचाने लगे।
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कार्बोनेटेड पानी और आधुनिक ट्रेंड
1767 में वैज्ञानिक जोसेफ प्रीस्टली ने कृत्रिम रूप से कार्बोनेटेड पानी बनाने की खोज की। इसके बाद 1783 में श्वेप्स कंपनी ने इसे व्यावसायिक रूप से बोतलों में भरना शुरू किया। यही से आज का सोडा वॉटर और कार्बोनेटेड मिनरल वाटर उद्योग विकसित हुआ।
19वीं और 20वीं शताब्दी में कई ब्रांड सामने आए – जैसे पोलैंड स्प्रिंग (1845), साराटोगा स्प्रिंग वॉटर (1872), डियर पार्क (1873) जो आज भी मौजूद हैं।
प्लास्टिक बोतल की क्रांति
20वीं सदी में प्लास्टिक बोतलों के आने के बाद पानी पैक करने का तरीका पूरी तरह बदल गया। यह सस्ता, हल्का और सुरक्षित था। इससे बोतलबंद पानी आम लोगों तक पहुंच गया और यह अब सिर्फ अमीरों तक सीमित नहीं रहा। आज यह एक विशाल उद्योग है और दुनियाभर में अरबों लोग रोजाना इसका इस्तेमाल करते हैं।