Highlights
- ईरान को चावल निर्यात पर युद्ध का सीधा असर
- पोर्ट पर अटके 4,000 से अधिक कंटेनर
- बासमती चावल की कीमत में ₹1200 प्रति क्विंटल तक की गिरावट
मध्य पूर्व में छिड़े ईरान और इज़राइल के बीच संघर्ष का असर अब भारत के चावल व्यापार पर भी साफ नजर आने लगा है। खासतौर पर उत्तर भारत के प्रमुख चावल उत्पादक राज्यों से होने वाला बासमती चावल का निर्यात थम गया है, जिससे किसानों और निर्यातकों दोनों को गहरी चिंता सता रही है।
भारत से होने वाला चावल निर्यात प्रभावित
ईरान और इज़राइल के बीच जारी युद्ध की वजह से भारत से होने वाला चावल निर्यात प्रभावित हुआ है। हरियाणा, पंजाब, दिल्ली और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों से ईरान को भेजा जाने वाला लगभग 1 लाख मीट्रिक टन चावल बंदरगाहों पर अटका हुआ है। इसके चलते बाज़ार में बासमती चावल की कीमतों में प्रति क्विंटल 1000 से 1200 रुपये तक की गिरावट दर्ज की गई है।
चावल निर्यातकों का कहना है कि ईरान में फंसे चावल के पैसे मिलने को लेकर चिंता गहरा गई है। चूंकि ईरान को भेजे जाने वाले चावल का कोई बीमा नहीं होता इसलिए कंटेनर रुकने का सीधा नुकसान एक्सपोर्टरों को झेलना पड़ रहा है। कई हजारों टन चावल के कंटेनर पोर्ट्स पर होल्ड में हैं और हर बीतता दिन उन्हें और घाटे में डाल रहा है।
परमिट की समय सीमा बन रही संकट
ईरान को चावल भेजने के लिए परमिट केवल चार महीने के लिए जारी किया जाता है। अगर तय समय के भीतर डिलीवरी नहीं हो पाई तो परमिट स्वतः रद्द हो जाएगा। इससे न केवल मौजूदा खेप का नुकसान होगा बल्कि भविष्य की योजनाएं भी बिगड़ सकती हैं।
भारत सरकार से मदद की गुहार
निर्यातकों ने केंद्र सरकार से अपील की है कि वह ईरान सरकार से वार्ता कर परमिट की वैधता बढ़वाने की कोशिश करे। हरियाणा के एक प्रमुख निर्यातक गौतम मिगलानी का कहना है कि भारत से 40% बासमती चावल अकेले हरियाणा से निर्यात होता है और ईरान भारत का सबसे बड़ा ग्राहक है।
भारत के शीर्ष ग्राहक देश
भारत से बासमती चावल आयात करने वाले प्रमुख देश
- ईरान – लगभग 30% से अधिक आयात
- सऊदी अरब – दूसरा सबसे बड़ा आयातक
- इराक – तीसरे स्थान पर
अगर यह संकट लंबा चला तो इसका सीधा असर आने वाली धान की फसल की खरीद पर पड़ेगा। चावल के दाम पहले ही गिर चुके हैं और निर्यात बंद होने की स्थिति में किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य भी मिलना मुश्किल हो सकता है।