उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले में धर्मांतरण रैकेट के आरोपी जलालुद्दीन उर्फ झांगुर बाबा की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। मंगलवार को प्रशासन ने उसकी आलीशान कोठी को ध्वस्त कर दिया। यह कोठी उतरौला तहसील के मधपुर गांव में बनी थी और अवैध रूप से सरकारी जमीन पर बनाई गई थी।
प्रशासन ने बताया कि कोठी नीतू उर्फ नसरीन के नाम पर दर्ज थी। इसका निर्माण झांगुर के पैसे से हुआ था। झांगुर और नसरीन को हाल ही में एटीएस (ATS) ने गिरफ्तार किया था। इस कोठी से झांगुर बाबा अपना धर्मांतरण रैकेट चलाता था।
मंगलवार सुबह करीब 10:30 बजे उतरौला के एसडीएम राजेन्द्र बहादुर, तहसीलदार सत्यपाल प्रजापति, एएसपी विशाल पांडेय, सीओ राघवेन्द्र प्रताप और एसएचओ अवधेश राज सिंह की मौजूदगी में बुलडोजर कार्रवाई की गई। कोठी में रखा सामान पहले बाहर निकाला गया और सूचीबद्ध किया गया। इसके बाद कोठी को नियमानुसार ढहा दिया गया।
यह कोठी तीन बार नोटिस दिए जाने के बावजूद खाली नहीं की गई थी। झांगुर बाबा की अवैध गतिविधियों को देखते हुए प्रशासन ने एक्शन लेने का निर्णय लिया। जांच में यह भी सामने आया है कि नीतू, उनके पति नवीन और बेटी ने झांगुर के कहने पर इस्लाम धर्म अपनाया था और झांगुर के साथ इसी कोठी में रहने लगे थे।
झांगुर बाबा का नेटवर्क और फंडिंग
उत्तर प्रदेश एटीएस ने झांगुर बाबा को चार दिन पहले लखनऊ से गिरफ्तार किया था। साथ में उसकी सहयोगी नीतू उर्फ नसरीन को भी पकड़ा गया। पूछताछ में सामने आया कि झांगुर ने बलरामपुर के मधपुर गांव से धर्मांतरण का रैकेट चलाना शुरू किया था।
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उसने मुम्बई, लखनऊ और दूसरे शहरों में कई लोगों को अपने जाल में फंसाकर इस्लाम कबूल करवाया। झांगुर को विदेश से फंडिंग भी मिल रही थी, जिसे वह अपनी संस्थाओं के जरिए मुरादाबाद, औरैया और आजमगढ़ जैसे जिलों में भेजता था।
एटीएस की रिपोर्ट के मुताबिक, यह लेन-देन लाखों रुपये में हुआ और झांगुर के पास लखनऊ से भी फंड्स कई बार भेजे गए। इतना ही नहीं, गोमतीनगर में कुछ पीड़ितों ने हाल ही में फिर से हिंदू धर्म में लौटने का भी फैसला किया।
अधिकारियों का कहना है कि झांगुर का नेटवर्क इतना बड़ा था कि एटीएस और एसटीएफ अब उसके बाकी साथियों की तलाश में लगी हुई हैं। मामले में ईडी को भी जांच सौंपी गई है ताकि आर्थिक लेन-देन की गहराई से पड़ताल हो सके।