उपराष्ट्रपति चुनाव का परिणाम आ चुका है। एनडीए के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन ने चुनाव में बड़ी जीत हासिल की है। उन्होंने कुल 452 वोट प्राप्त कर विपक्षी गठबंधन के उम्मीदवार बी सुदर्शन रेड्डी को करारी मात दी। सुदर्शन रेड्डी को 300 वोट ही मिल सके। इस जीत के साथ एनडीए ने दो-तिहाई से अधिक बहुमत हासिल कर अपनी ताकत का प्रदर्शन किया है। चुनाव में जीत के लिए 392 वोटों की जरूरत थी जिसे राधाकृष्णन ने आसानी से पार कर लिया।
इस चुनाव में कुल 767 सांसदों ने वोट डाले। इनमें से 15 वोट अमान्य पाए गए। एनडीए के पास अपने सांसदों के 427 वोट थे। वाईएसआर कांग्रेस के 11 सांसदों के समर्थन से यह आंकड़ा 438 तक पहुंच गया। इसके अलावा विपक्षी दलों से मिले 14 अतिरिक्त वोटों ने एनडीए की जीत को और आसान बना दिया। इस तरह एनडीए ने कुल 452 वोट हासिल किए। विपक्ष के लिए यह बड़ा झटका माना जा रहा है क्योंकि 15 वोट अमान्य होने और 14 वोट क्रॉसवोटिंग के चलते उनकी संख्या घट गई।
विपक्ष ने एकजुटता दिखाने की कोशिश की
विपक्ष ने बी सुदर्शन रेड्डी को मैदान में उतार कर अपनी एकजुटता दिखाने की कोशिश की। उन्होंने सांसदों से अंतरात्मा की आवाज पर वोट करने की अपील की थी। हालांकि, एनडीए ने रणनीतिक तैयारी कर विपक्ष के वोट बैंक में सेंध लगाई और क्रॉस वोटिंग के जरिए जीत हासिल की। खुद सुदर्शन रेड्डी ने स्वीकार किया कि कुछ सांसदों ने व्यक्तिगत विचार के आधार पर वोट किया। इससे एनडीए को फायदा मिला।
इस चुनाव में अमान्य वोटों की संख्या भी चर्चा का विषय बन गई। कुल वोटों का लगभग 2 प्रतिशत हिस्सा अमान्य पाया गया। इससे साफ होता है कि मतदान प्रक्रिया में त्रुटियां हुईं। विशेषज्ञों का मानना है कि सांसदों को सही मतदान प्रक्रिया के लिए बेहतर प्रशिक्षण देने की आवश्यकता है ताकि भविष्य में ऐसी गलतियों से बचा जा सके।
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यह चुनाव पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा देने के बाद कराया गया। संसद परिसर के वसुंधा भवन में सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक मतदान चला। दोनों सदनों के सांसदों ने इसमें हिस्सा लिया। एनडीए की रणनीति और विपक्ष की चुनौती के बीच यह चुनाव लोकतांत्रिक प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण उदाहरण बन गया।