जम्मू-कश्मीर चुनाव

अनुच्छेद 370 हटने के बाद पहली बार कश्मीर घाटी के लोगों में चुनाव के प्रति उत्साह देखने को मिल रहा है। बुरहान वानी और अफजल गुरु के इलाके का माहौल भी बदला-बदला है। घाटी के बदले इस सियासी माहौल की खूब चर्चा हो रही है। अब कश्मीर के लोगों में संसद के प्रति भरोसा बढ़ा है। चौथे चरण में श्रीनगर सीट पर टूटे मतदान के रिकॉर्ड ने साबित किया कि कश्मीर बदल रहा है। अब बारामुला में 20 व अनंतनाग में 25 मई को मतदान में भी लोकतंत्र के उत्सव का रंग चटख रहने की पूरी उम्मीद है।

पहली बार मतदान कर रहा हूं – स्थानीय

दक्षिण कश्मीर के त्राल में अपने घर से कुछ ही दूरी पर स्कूल की तरफ संकेत करते हुए सोमवार को यासीन बट ने कहा कि मेरी उम्र 56 वर्ष है, लेकिन मैं पहली बार मतदान कर रहा हूं। यह पूछने पर कि सोच में बदलाव कैसे आया है, तो उन्होंने कहा कि पांच अगस्त, 2019 ने मेरा सोच बदल दिया है।

संसद में असली ताकत

हिंदुस्तान की संसद में असली ताकत है, जहां आपका वोट आपके काम आता है। त्राल ही वह इलाका है, जहां से बुरहान वानी और जाकिर मूसा जैसे आतंकी निकले हैं, लेकिन इस बार लोग बेखौफ होकर मतदान के लिए निकले।

28 वर्ष बाद रिकॉर्ड मतदान

लोकसभा चुनाव के चौथे चरण के लिए जम्मू-कश्मीर में सोमवार को श्रीनगर संसदीय क्षेत्र में पिछले 28 वर्ष में सबसे ज्यादा 38.30 प्रतिशत मतदान हुआ। इससे पहले वर्ष 1996 में इस सीट पर 40.94 प्रतिशत वोट पड़े थे। वर्ष 1989 में आतंकी हिंसा शुरू होने के बाद से यह अब तक का दूसरा बड़ा मतदान कहा जा सकता है।

पहला लोकसभा चुनाव

जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के बाद यह पहला लोकसभा चुनाव है। मतदान केंद्रों में मतदाताओं की भीड़ व उनमें उत्साह बता रहा था कि कश्मीर की जनता पांच अगस्त, 2019 के केंद्र सरकार के फैसले पर अपनी सहमति की मुहर लगा चुकी है।

आवाज दमदार चाहिए

कश्मीर में लोग अब मानते हैं कि उन्हें जो मिलना है, संसद से मिलना है, इसलिए वहां अपनी आवाज दमदार चाहिए। कईयों को लगता है कि यहां के पांच सांसद क्या करेंगे तो उन्हें जवाब मिलता है कि अकेले सैफूदीन सोज ने अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार गिरा दी थी।

सविधान के मुताबिक शासन

कश्मीर मामलों के जानकार अहमद अली फैयाज ने कहा कि मैं जो देख और समझ रहा हूं कि कश्मीर के लोगों को पता चल गया है कि अब वहां भी भारतीय संविधान के मुताबिक शासन होगा। इसलिए संसद में उन्हें अपनी एक मजबूत और समझदार आवाज चाहिए, चाहे वह नेशनल कॉन्फ्रेंस की हो या भाजपा की या फिर पीडीपी की।

लोगो में उत्साह

इस बार यहां लोकसभा चुनाव को लेकर पहले से ही ज्यादा उत्साह है। लोग इसे गंभीरता से ले रहे हैं। उन्हें पता चल गया है कि संसद में ही असली ताकत है और संसद में जो अपने साथ दूसरों को जोड़ेगा, वही जीतेगा। उसकी आवाज ही सुनी जाएगी और यह सब संभव हुआ है अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण से। इसने कश्मीरियों को राजनीतिक रूप से भी भारत के साथ एकीकृत किया है।

कैसे हटा अनुच्छेद 370

2019 के राष्ट्रपति आदेशों में, संसद ने “जम्मू और कश्मीर की संविधान सभा” को नया अर्थ देते हुए एक प्रावधान लाया, जिसका अर्थ है “जम्मू और कश्मीर की विधान सभा”, और फिर राष्ट्रपति शासन के माध्यम से विधान सभा की शक्तियों को ग्रहण किया। अनुच्छेद 370 को रद्द करने के लिए।

कोर्ट ने क्या कहा

अदालत ने माना कि अनुच्छेद 370 एक अस्थायी प्रावधान था और जम्मू-कश्मीर राज्य की कोई आंतरिक संप्रभुता नहीं थी। अदालत ने माना कि अनुच्छेद 370 दो प्राथमिक कारणों से एक ‘अस्थायी प्रावधान’ था।