कांग्रेस-वाममोर्चा गठबंधन के मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के युवा वकील शायन बनर्जी भी हैं। इनके बीच चुनावी लड़ाई बड़ी दिलचस्प हो उठी है। यह तमलुक लोकसभा क्षेत्र बंगाल की मुख्यमंत्री तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी और बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी की नाक का सवाल हो गया है।
बंगाल की सबसे हॉट सीट
लोकसभा चुनाव 2024 के छठे चरण के तहत आगामी 25 मई को पूर्व मेदिनीपुर जिला की तमलुक लोकसभा सीट के लिए मतदान होने जा रहा है। इस बार यह सीट बंगाल की सबसे हॉट सीट हो उठी है। इसके प्रमुख उम्मीदवारों में भाजपा के टिकट पर कलकत्ता हाई कोर्ट के पूर्व जज अभिजीत गंगोपाध्याय हैं तो तृणमूल कांग्रेस के युवा तुर्क और ‘खेला होबे’ नारा के रचयिता देबांग्शु भट्टाचार्य हैं।
2009 में टीएमसी ने खोला खाता
यह तमलुक लोकसभा सीट पहली बार 2009 में तृणमूल कांग्रेस के खाते में आई। उसके फायर ब्रांड युवा नेता व ममता बनर्जी के सिपहसालार सुवेंदु अधिकारी इसके सांसद निर्वाचित हुए। वही दोबारा 2014 में भी यहां के सांसद हुए। मगर, 2016 में उन्होंने सांसद पद से इस्तीफा दे दिया इसलिए कि, वह उसी वर्ष पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में उस नंदीग्राम के विधायक निर्वाचित हो गए जहां के आंदोलन से ममता बनर्जी ने लगातार 34 वर्षों से बंगाल की सत्ता पर काबिज वाममोर्चा को उखाड़ फेंक अपना कब्जा जमाया और 2011 से अब तक बंगाल की सत्ता पर काबिज हैं।
सुवेंदु की भूमिका
नंदीग्राम में टाटा कंपनी की नैनो कार परियोजना के लिए किसानों की जमीन के अधिग्रहण के विरुद्ध ममता बनर्जी के 2009 में हुए आंदोलन में एग्रा के विधायक व कांथी लोकसभा क्षेत्र के सांसद शिशिर अधिकारी एवं उनके पुत्र कांथी दक्षिण के विधायक शुभेंदु अधिकारी और दिव्येंदु अधिकारी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इनाम स्वरूप शिशिर अधिकारी को ममता बनर्जी ने 2009, 2014 और 2019 तीनों लोकसभा चुनाव में कांथी लोकसभा सीट के लिए टिकट दिया और वह विजयी होते रहे।
ममता सरकार में मंत्री
वहीं, 2016 में तमलुक के सांसद पद से इस्तीफा दे कर नंदीग्राम के विधायक हो शिशिर अधिकारी के पुत्र शुभेंदु अधिकारी भी ममता सरकार में मंत्री हुए। इसके साथ ही खाली पड़ी तमलुक लोकसभा सीट के उपचुनाव में शिशिर अधिकारी के दूसरे पुत्र दिव्येंदु अधिकारी को तृणमूल कांग्रेस का टिकट मिला वह भी विजयी हुए। वह दोबारा 2019 में भी तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर ही तमलुक के सांसद हुए।
सुवेंदु ने छोड़ा साथ
मगर बाद में ममता बनर्जी का यह भरोसेमंद राजनीतिक परिवार उनसे अलग हो गया। तृणमूल कांग्रेस में ममता बनर्जी के बाद उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी का कद बढ़ते देख सुवेंदु अधिकारी ने 2020 में तृणमूल कांग्रेस छोड़ दिया और भाजपा में चले गए। फिर उनके पिता शिशिर अधिकारी व भाई भी दिव्येंदु अधिकारी तृणमूल कांग्रेस से अलग हो गए।