इब्राहिम रईसी और कई ईरानी अधिकारियों को लो जा रहा हेलीकॉप्टर एक ग्रामीण इलाके में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था जिसमें सभी की मौत होने की बात कही गई है। इब्राहिम रईसी (Ebrahim Raisi Death) अत्याचार के कई आरोपों से घिरे रहे हैं और उनका अति-रूढ़िवादी इतिहास रहा है। रईसी को तेहरान का कसाई तक कहा जाता था।
फ्लाइट एक्सपर्ट काइल बेली का कहना है कि राष्ट्रपति का विमान उड़ाने वाले पायलट आमतौर पर कुशल और अनुभवी होते हैं, लेकिन हेलीकॉप्टर एक बहुत जटिल मशीन है। उन्होंने अल जजीरा को बताया, ‘जब आप उड़ान भरते हैं और मौसम साफ होता है तो सब ठीक है, लेकिन समस्या तब होती है जब पायलट पहाड़ी, ऊबड़-खाबड़ और जंगली इलाके में होते हैं और उन जगहों पर अचानक कोहरा विकसित हो सकता है जहां आपको इसकी उम्मीद नहीं होती है।’
रेड क्रिसेंट प्रमुख ने की पुष्टि
ड्रोन फुटेज आने के कुछ देर बाद ईरान के रेड क्रिसेंट सोसायटी के प्रमुख ने ईरानी समाचार एजेंसी फार्स न्यूज को फोन पर बताया कि रेस्क्यू टीम को हेलीकॉप्टर मिल गया है और वे उस तरफ बढ़ रहे हैं। रेड क्रिसेंट प्रमुख ने कहा कि अभी हम हेलीकॉप्टर से लगभग दो किलोमीटर की दूरी पर हैं। हेलीकॉप्टर के पास पहुंचकर अधिक जानकारी दी जा सकेगी।
2021 में राष्ट्रपति
इब्राहिम रईसी (Iran’s President) ने 2021 में एक चुनाव के बाद ईरान के राष्ट्रपति का पद संभाला था। उनके राष्ट्रपति बनने का पूरे देश में व्यापक रूप से विरोध हुआ था, क्योंकि उन्हें रूढ़िवादी मानसिकता का पक्षकार माना जाता था और चुनावों में धांधली होने की बात कही गई थी। हालांकि, अंत में रईसी को विजयी माना गया, जिसमें केवल 62 फीसद वोट ही डाले गए थे। यह चार दशकों में ईरानी चुनाव के लिए सबसे कम मतदान था।
ईरान के सर्वोच्च नेता का उत्तराधिकारी
रईसी को ईरान के सर्वोच्च नेता और सबसे शक्तिशाली धार्मिक गुरू अली खामेनेई का राजनीतिक सहयोगी और उनका संभावित उत्तराधिकारी भी माना जाता था। निर्वाचित होने के बाद से रईसी ने गंभीर आर्थिक संकट और इजरायल के साथ देश के संघर्ष में ऐतिहासिक वृद्धि के दौरान शासन करते हुए, मध्य पूर्व में ईरान के प्रभाव का विस्तार करने के लिए काम किया। इस कारण इजरायल और ईरान में जंग जैसे हालात भी हो गए थे। हालांकि, दोनों तरफ से कई बार मिसाइल छोड़े जाने के बाद अब हालात थोड़े स्थिर हैं।
हिजाब कानून पर हुआ था बड़ा विवाद
रईसी के शासनकाल में ही ईरान में हिजाब विवाद भी गहराया था। ईरान के ‘हिजाब और पवित्रता कानून’ का जबरन पालन करवाना भी रईसी प्रशासन को भारी बड़ा था, जिसका कड़ा विरोध हुआ।
इसी का विरोध करते हुए वहां कि महिलाएं महसा अमिनी और अमृता गेरावंद की मौत हो गई थी, जिसके बाद सरकार का विरोध तेज हो गया और लोगों ने हिजाब पहनने से मना करते हुए बाल तक काटने शुरू कर दिए। दोनों महिलाओं की कथित तौर पर हिजाब कानून का उल्लंघन करने के बाद हिरासत के दौरान पुलिस की बर्बरता के चलते मृत्यु हो गई थी।
अमेरिका ने बैन किया
अमेरिका के ट्रेजरी विभाग ने भी रईसी पर साल 2019 से बैन लगा रखा था। दरअसल, ईरान में रईसी कार्यकाल में ही बच्चों को फांसी, प्रमुख मानवाधिकारों वकीलों को कैद की सजा दी गई, जिसके चलते अमेरिका ने रईसी पर प्रतिबंध भी लगा दिया था।
तेहरान का कसाई’ नाम से जाने जाते थे रईसी
साल 1988 में राजनीतिक विरोधियों को खत्म करने के लिए ईरान में 4 सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया था। इन 4 सदस्यों में इब्राहिम रईसी भी शामिल थे। इस कमेटी को ईरान में अनौपचारिक रूप से ‘देथ कमेटी’ भी कहा जाता है। इस समय अवधि में राजनीतिक कैदियों को फांसी देने का सिलसिला चला, जिसमें एक अनुमान के मुताबिक करीब 3000 से ज्यादा राजनीतिक विरोधियों को फांसी दी गई। मारे गए लोगों में अधिकांश लोग ईरान के पीपुल्स मुजाहिदीन संगठन के समर्थक थे। इसी कारण रईसी को ‘तेहरान का कसाई’ कहा जाता था।