अगर आप ओला, उबर, रैपिडो या इनड्राइव जैसी ऐप से चलने वाली कैब या बाइक टैक्सी सेवाओं का इस्तेमाल करते हैं तो आपके लिए एक बड़ी खबर है। केंद्र सरकार ने इन एग्रीगेटर कंपनियों (ऐप आधारित कैब सेवा प्रदाताओं) के लिए काम करने के नियमों में बड़े बदलाव किए हैं। इन नए नियमों का मकसद यात्रियों की सुरक्षा बढ़ाना, ड्राइवरों के हितों की रक्षा करना और बाजार में सही प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करना है।
सर्ज प्राइसिंग की सीमा बढ़ी
अब कंपनियां भीड़भाड़ या मांग ज्यादा होने (जैसे बारिश, त्योहार) के समय आपसे पहले से ज्यादा किराया वसूल सकेंगी। पहले वे बेस किराए से सिर्फ डेढ़ गुना (1.5x) तक ही किराया बढ़ा सकती थीं। अब यह सीमा बढ़ाकर दोगुना (2x) कर दी गई है। हालांकि सामान्य समय में कंपनियों को किराए में कम से कम बेस फेयर का 50% तो चार्ज करना ही होगा। इसका मतलब है कि अब कंपनियां बहुत ज्यादा डिस्काउंट देकर बाजार में गलत तरीके से आगे नहीं बढ़ पाएंगी।
राइड कैंसिल करने पर लगेगा जुर्माना
नए नियमों के मुताबिक, अगर कोई ड्राइवर या ग्राहक बिना किसी ठोस वजह के राइड कैंसिल करता है, तो उस पर जुर्माना लगेगा। यह जुर्माना कुल किराए का 10% या अधिकतम 100 रुपये (जो भी कम हो) तय किया गया है। यह पैसा ड्राइवर और कंपनी के बीच बांटा जाएगा। यानी अगर आप बेवजह कैंसिल करेंगे, तो आपको भी जुर्माना भरना पड़ सकता है, और अगर ड्राइवर बिना वजह कैंसिल करेगा, तो उस पर भी यही नियम लागू होगा।
ड्राइवरों के लिए बीमा और ट्रेनिंग अनिवार्य
ड्राइवरों की सुरक्षा और कौशल बढ़ाने के लिए भी नियम बनाए गए हैं। अब हर कैब ड्राइवर के पास कम से कम 5 लाख रुपये का हेल्थ इंश्योरेंस और 10 लाख रुपये का टर्म इंश्योरेंस (जीवन बीमा) होना जरूरी होगा। साथ ही, सभी ड्राइवरों को हर साल कम से कम एक बार रिफ्रेशर ट्रेनिंग लेनी होगी। जिन ड्राइवरों की रेटिंग सबसे खराब होगी (सबसे निचले 5% में), उन्हें हर तीन महीने (तिमाही) में ट्रेनिंग लेनी होगी। अगर कोई ड्राइवर ट्रेनिंग नहीं लेता है तो उसे प्लेटफॉर्म से हटा दिया जाएगा।
राज्य सरकारें तय करेंगी न्यूनतम किराया
किराया तय करने की जिम्मेदारी अब ज्यादा राज्य सरकारों को दी गई है। अलग-अलग तरह की सवारियों जैसे ऑटो रिक्शा, बाइक टैक्सी, कार आदि का न्यूनतम बेस किराया अब राज्य सरकारें तय करेंगी। अगर कोई राज्य सरकार ऐसा नहीं करती है तो एग्रीगेटर कंपनियां खुद किराया तय कर सकती हैं, लेकिन उन्हें इसकी जानकारी राज्य सरकार को देनी होगी।
Latest Posts
पिकअप के लिए अतिरिक्त चार्ज नहीं
अच्छी खबर यह है कि अब ड्राइवर के आपको लेने आने की दूरी (जिसे डेड माइलेज कहते हैं) के लिए कोई अलग से चार्ज नहीं लगेगा, जब तक कि यह दूरी 3 किलोमीटर से कम हो।
हर वाहन में लगेगा जीपीएस ट्रैकर
यात्री सुरक्षा को गंभीरता से लेते हुए सरकार ने हर कैब, बाइक टैक्सी या अन्य वाणिज्यिक वाहन में वीएलटीडी (व्हीकल लोकेशन एंड ट्रैकिंग डिवाइस) लगाना अनिवार्य कर दिया है। यह डिवाइस कंपनी के ऐप और राज्य सरकार के कंट्रोल रूम दोनों से जुड़ा होगा। इससे वाहनों की रियल-टाइम लोकेशन पर नजर रखी जा सकेगी और आपात स्थिति में तुरंत मदद मिल सकेगी।
तीन महीने के भीतर लागू होंगे नियम
केंद्र सरकार ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इन संशोधित नियमों को अगले तीन महीनों के भीतर लागू करने का निर्देश दिया है। सरकार का कहना है कि इन बदलावों से ऐप-आधारित टैक्सी सेवाएं यात्रियों और ड्राइवरों, दोनों के लिए ज्यादा पारदर्शी, भरोसेमंद, सुरक्षित और सुविधाजनक बनेंगी।