ऑपरेशन सिंदूर में चीन की पोल खुली! JNU प्रोफेसर की बड़ी टिप्पणी, ब्रह्मोस हमले झेल नहीं पाए ड्रोन-मिसाइल

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने केवल पाकिस्तान से ही नहीं, बल्कि उसके पीछे खड़े चीन और तुर्की से भी लोहा लिया। JNU के प्रोफेसर श्रीकांत कोंडापल्ली ने कहा है कि चीन की सैन्य क्षमता की असलियत इस ऑपरेशन में सामने आ गई।

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ऑपरेशन सिंदूर
ऑपरेशन सिंदूर

Highlights

  • वायु रक्षा की ताकत दिखा कर भारत ने तुर्की-पाक-चीन को दिया जवाब
  • डिप्टी आर्मी चीफ ने कहा – चीन ने इस्लामाबाद को लाइव डेटा देकर की मदद
  • पाकिस्तान के साथ तुर्की ने भी हथियार सप्लाई कर निभाई बड़ी भूमिका

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में ईस्ट एशियन स्टडीज के प्रमुख प्रोफेसर श्रीकांत कोंडापल्ली ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि इस संघर्ष के दौरान चीन की सैन्य तकनीक की सीमाएं सामने आ गईं।

प्रोफेसर कोंडापल्ली ने कहा कि भारत की ओर से की गई ब्रह्मोस मिसाइल (BrahMos Missile) स्ट्राइक ने चीन के ड्रोन और मिसाइल डिफेंस सिस्टम को पूरी तरह विफल कर दिया। 9 और 10 मई को हुए हमलों में चीन की तकनीकें भारतीय हमले रोकने में असफल रहीं।

उन्होंने कहा कि इस ऑपरेशन ने दिखा दिया कि चीन की हाईटेक सैन्य प्रणाली अब भी भरोसेमंद नहीं है। उनके हथियार सिस्टम भारत की आधुनिक सैन्य ताकत के सामने टिक नहीं पाए।

वायु रक्षा (Air Defence) पर बात करते हुए कोंडापल्ली ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर में भारत की एयर पावर का शानदार प्रदर्शन हुआ। भारत ने कई फाइटर जेट और एयर डिफेंस सिस्टम तैनात किए। इससे यह साबित होता है कि भारत की वायु सेना किसी भी खतरे से निपटने में सक्षम है।

चीन और तुर्की दोनों फेल

इससे पहले शुक्रवार को डिप्टी आर्मी चीफ लेफ्टिनेंट जनरल राहुल आर. सिंह ने भी कहा था कि चीन ने इस संघर्ष का इस्तेमाल भारत की सैन्य ताकत को परखने के लिए किया। उन्होंने कहा कि चीन ने पाकिस्तान को हर संभव मदद दी और तुर्की ने ड्रोन व हथियारों की सप्लाई करके उसे मजबूत किया।

जनरल सिंह ने कहा कि पाकिस्तान तो सिर्फ सामने दिख रहा था, असली कमान चीन चला रहा था। चीन ने अपने सैटेलाइट (satellite) के जरिए पाकिस्तान को भारत की लोकेशन की लाइव जानकारी दी।

उन्होंने यह भी बताया कि पाकिस्तान की सेना को डीजीएमओ (DGMO) स्तर पर हो रही बातचीत के दौरान भारत की तैनाती की सीधी जानकारी मिल रही थी, जो तभी संभव है जब कोई तीसरा पक्ष यानी चीन मदद कर रहा हो।

फिलहाल इस पूरे घटनाक्रम से भारत के सामने ये स्पष्ट हुआ है कि तुर्की, पाकिस्तान और चीन का गठजोड़ गंभीर चुनौती बनता जा रहा है। लेकिन ऑपरेशन सिंदूर ने यह भी दिखा दिया कि भारत तीनों को एकसाथ जवाब देने में सक्षम है।