खेल महासंघों पर केंद्र की बड़ी तैयारी, मॉनसून सत्र में आएगा ‘राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक’

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राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक

Highlights

  • केंद्र सरकार मॉनसून सत्र में लाएगी 'राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक'
  • खेल महासंघों को RTI के तहत लाने की तैयारी
  • पारदर्शिता और वित्तीय अनुशासन पर होगा फोकस

देश के खेल संगठनों में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में केंद्र सरकार बड़ा कदम उठाने जा रही है। आगामी मॉनसून सत्र 2025 में केंद्र सरकार ‘राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक’ (National Sports Governance Bill) संसद में पेश करेगी। इस विधेयक का उद्देश्य एक स्वतंत्र खेल नियामक संस्था (Independent Sports Regulator) की स्थापना करना और राष्ट्रीय व राज्य स्तरीय खेल महासंघों को सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI Act) के दायरे में लाना है।

तीन बड़े प्रावधान जो बदल सकते हैं खेलों की तस्वीर

  1. भारतीय खेल नियामक संस्था (SRBI)
    प्रस्तावित विधेयक में एक पांच सदस्यीय नियामक निकाय का गठन होगा, जिसकी अध्यक्षता केंद्रीय खेल सचिव करेंगे। इसमें एक खेल रत्न (Khel Ratna Awardee) और एक द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता (Dronacharya Awardee) को सदस्य बनाया जाएगा। यह निकाय सभी ओलंपिक, पैरा ओलंपिक और अन्य राष्ट्रीय खेल महासंघों को मान्यता देने, उनके प्रशासन, वित्तीय प्रबंधन और नैतिक मानकों की निगरानी करेगा।
  2. एथलीट आयोग और अपीलीय खेल न्यायाधिकरण (Athlete Commission & Tribunal)
    विधेयक के तहत खिलाड़ियों के हितों की रक्षा के लिए एक एथलीट आयोग बनाया जाएगा। इसके साथ ही एक तीन सदस्यीय अपीलीय खेल न्यायाधिकरण गठित होगा, जिसकी अध्यक्षता एक सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश करेंगे। यह संस्था खिलाड़ियों और महासंघों के बीच होने वाले विवादों का निष्पक्ष समाधान करेगी।
  3. RTI के दायरे में आएंगे खेल महासंघ
    सभी खेल महासंघों को RTI अधिनियम के तहत लाया जाएगा। इससे उनकी कार्यप्रणाली पर जनता की निगरानी बढ़ेगी। हालांकि कुछ संवेदनशील जानकारियां—जैसे खिलाड़ियों की फिटनेस रिपोर्ट, चोट की स्थिति या टीम चयन जैसी बातें RTI से बाहर रहेंगी।

पुराना सपना अब हो रहा साकार
यह पहला मौका नहीं है जब खेल प्रशासन में सुधार की कोशिश हो रही है। 2010 में तत्कालीन खेल मंत्री अजय माकन भी ऐसा ही विधेयक लाने की कोशिश कर चुके हैं। लेकिन वह राजनीतिक समर्थन न मिलने के कारण संसद में नहीं आ सका था।

क्यों जरूरी है ये विधेयक?
पिछले कुछ वर्षों में भारतीय खेल महासंघों (Sports Federations) पर कुप्रबंधन, गुटबाजी, पारदर्शिता की कमी और भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं। कई बार खिलाड़ियों को चुनावी राजनीति और संघों की अंदरूनी खींचतान का नुकसान भुगतना पड़ा है। ऐसे में यह विधेयक एक वैधानिक ढांचा देकर खेलों में अनुशासन और जवाबदेही लाने का प्रयास है।

मॉनसून सत्र में विधेयक पर होगी चर्चा
21 जुलाई से शुरू हो रहे संसद के मॉनसून सत्र (Monsoon Session 2025) में यह विधेयक पेश किया जाएगा। 23 दिनों के इस सत्र में सरकार अन्य विधेयकों जैसे वित्त विधेयक, भारतीय वायुयान विधेयक, कॉफी और रबर विकास विधेयक पर भी चर्चा करेगी। इसके अलावा ऑपरेशन सिंदूर जैसे राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े विषयों पर भी बहस की उम्मीद है।