ट्रंप ने G7 को G9 में बदलने का दिया सुझाव, इन दो देशों को शामिल करने पर कही बड़ी बात

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Trump suggested changing G7 to G9, said a big thing about including these two countries

Highlights

  • ट्रंप ने रूस और चीन को G7 में शामिल करने का सुझाव दिया
  • जर्मनी और ब्रिटेन ने ट्रंप के प्रस्ताव को नकारा
  • सम्मेलन में वैश्विक अर्थव्यवस्था और सुरक्षा पर चर्चा जारी

कनाडा में चल रहे G7 शिखर सम्मेलन में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बड़ा बयान देकर दुनिया का ध्यान खींचा है। ट्रंप ने कहा कि अब समय आ गया है कि G7 को G9 में बदला जाए और इसमें रूस और चीन जैसे बड़े देशों को शामिल किया जाए ताकि वैश्विक मुद्दों पर सार्थक चर्चा हो सके।

ट्रंप ने कहा कि रूस को 2014 में समूह से बाहर करना एक बड़ी भूल थी। उन्होंने कहा, “यदि रूस को उस समय बाहर न किया गया होता तो आज यूक्रेन पर हमला नहीं होता। हमें रूस को फिर से इस मंच पर बुलाना चाहिए और चीन को भी बातचीत का हिस्सा बनाना चाहिए।”

ट्रंप के इस बयान के बाद G7 देशों में इस मुद्दे पर बहस तेज हो गई है। जर्मनी और फ्रांस जैसे देश ट्रंप के प्रस्ताव से सहमत नजर नहीं आए। जर्मन चांसलर ने कहा कि रूस को वापस लाना वर्तमान हालात में सही कदम नहीं होगा क्योंकि रूस की आक्रामक नीतियां अब भी जारी हैं। वहीं ब्रिटेन ने भी इस विचार पर असहमति जताई है।

ट्र्ंप क्यों चाहते हैं विस्तार?

ट्रंप ने यह भी कहा कि रूस और चीन जैसे बड़े देशों को शामिल करने से वैश्विक शांति और अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक असर पड़ेगा। उनका मानना है कि जब तक बड़े देशों को इस मंच पर शामिल नहीं किया जाएगा, तब तक दुनिया के बड़े मुद्दों का स्थायी समाधान संभव नहीं है।

G7 शिखर सम्मेलन का आयोजन कनाडा के अल्बर्टा प्रांत में हो रहा है। इसमें अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान और कनाडा जैसे देश शामिल हैं। सम्मेलन का मुख्य एजेंडा वैश्विक अर्थव्यवस्था, ऊर्जा संकट और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा है।

ट्रंप के बयान पर अभी तक रूस और चीन की तरफ से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि कूटनीतिक हलकों में इस सुझाव पर चर्चा शुरू हो गई है कि अगर G7 का विस्तार होता है तो यह समूह वैश्विक मंच पर और प्रभावशाली हो सकता है।

वहीं कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि रूस और चीन को शामिल करने से G7 की मौजूदा संरचना और उद्देश्यों में बदलाव हो सकता है, जिससे छोटे देशों की आवाज कमजोर पड़ सकती है।