भारतियों के बॉयकॉट से डगमगाई तुर्की की अर्थव्यवस्था, टूरिज्म सेक्टर में भारी गिरावट

पाकिस्तान के साथ खड़े होने की कीमत तुर्की को अब चुकानी पड़ रही है। भारतीयों के बॉयकॉट कैंपेन ने तुर्की के टूरिज्म सेक्टर की कमर तोड़ दी है।

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Highlights

  • भारतीय पर्यटकों में 37% की गिरावट
  • ट्रैवल पोर्टल्स ने तुर्की का प्रचार बंद किया
  • ड्रोन सप्लाई करने के बाद भारत में शुरू हुआ विरोध

तुर्की की भारत विरोधी राजनीति अब उसके लिए भारी पड़ रही है। पाकिस्तान का खुलकर साथ देने के बाद तुर्की को भारतीयों के गुस्से का सामना करना पड़ रहा है। इसका असर अब सीधे-सीधे तुर्की की अर्थव्यवस्था पर दिखाई देने लगा है। खासकर टूरिज्म सेक्टर बुरी तरह प्रभावित हुआ है।

एक रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय पर्यटकों ने तुर्की जाना लगभग बंद कर दिया है। पारंपरिक रूप से जून का महीना तुर्की टूरिज्म के लिए सबसे अहम होता है, लेकिन इस साल वहां जाने वाले भारतीय पर्यटकों की संख्या में 37% की गिरावट आई है। आंकड़े बताते हैं कि इस जून में सिर्फ 24,250 भारतीय पर्यटक तुर्की पहुंचे, जबकि पिछले साल यह संख्या 38,307 थी।

इस गिरावट की एक अहम वजह है मई में हुए ऑपरेशन सिंदूर। भारत के इस सैन्य अभियान के दौरान तुर्की ने खुलकर पाकिस्तान का साथ दिया। यहां तक कि भारतीय सेना ने भी पुष्टि की कि युद्ध जैसे हालात में भारत को तुर्की, पाकिस्तान और चीन—तीनों मोर्चों पर एक साथ जूझना पड़ा।

सबसे बड़ा झटका तब लगा जब भारत में मिले नष्ट हो चुके ड्रोन के मलबे से यह साबित हुआ कि वे तुर्की निर्मित थे। इसके बाद भारत में सोशल मीडिया पर ‘बॉयकॉट तुर्की’ ट्रेंड करने लगा। ट्रैवल वेबसाइट्स जैसे मेकमाईट्रिप, ईजमाईट्रिप और क्लियरट्रिप ने भी तुर्की का प्रचार बंद कर दिया।

तटीय पर्यटन के लिए मशहूर तुर्की अब भारतीय पर्यटकों से खाली हो चुका है। इस मुहिम का सीधा असर तुर्की की अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है, जो पहले से ही कई चुनौतियों से जूझ रही थी।

तुर्की का पाकिस्तान के पक्ष में आना, और भारत के खिलाफ सैन्य indirectly सपोर्ट करना, अब उसकी इमेज को नुकसान पहुंचा रहा है। भारतीय जनता अब विदेशी नीति के मामले में भी सजग हो गई है, और इसका असर जमीन पर साफ दिखने लगा है।