उपराष्ट्रपति चुनाव में EVM क्यों नहीं? फिर कैसे होता है मतदान? जानिए पूरी प्रक्रिया

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देशभर की निगाहें 9 सितंबर को होने वाले उपराष्ट्रपति चुनाव पर टिकी हैं। इस बार NDA से सी. पी. राधाकृष्णन और इंडिया गठबंधन से बी. सुदर्शन रेड्डी आमने-सामने हैं। मतदान के तुरंत बाद ही नतीजे घोषित किए जाएंगे, लेकिन एक सवाल हर किसी के मन में है – क्या उपराष्ट्रपति चुनाव में EVM का इस्तेमाल होता है? जवाब है – नहीं!

दरअसल, उपराष्ट्रपति और राष्ट्रपति चुनाव में अलग प्रक्रिया अपनाई जाती है। आम चुनावों में इस्तेमाल होने वाली इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) लोकसभा और विधानसभा जैसे प्रत्यक्ष चुनावों के लिए बनाई गई हैं, जहाँ मतदाता अपने पसंदीदा उम्मीदवार के सामने बटन दबाकर वोट देते हैं। लेकिन उपराष्ट्रपति का चुनाव “एकल संक्रमणीय मत” यानी Single Transferable Vote प्रणाली पर आधारित होता है। इस वोटिंग प्रकिया में हर सांसद अपनी प्राथमिकताओं के अनुसार उम्मीदवारों को वोट करता है।

कैसे होता है उपराष्ट्रपति का चुनाव?

मतदाता यानी सांसद बैलेट पेपर पर उम्मीदवारों के नामों के सामने अपनी वरीयता क्रम में अंक (1, 2, 3, 4…) लिखते हैं। इसके आधार पर मतों की गणना होती है। चूँकि यह प्रक्रिया आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली पर आधारित है, इसलिए EVM इसमें लागू नहीं की जा सकती। यदि इसके लिए EVM बनानी हो तो उसे पूरी तरह नई तकनीक से तैयार करना पड़ेगा, जो अभी तक संभव नहीं है।

चुनाव प्रक्रिया निर्वाचन आयोग की देखरेख में होती है। आयोग संसद का वरिष्ठ अधिकारी रिटर्निंग ऑफिसर नियुक्त करता है जो मतदान को संचालित करता है। जीत के लिए जरूरी है कि कोई उम्मीदवार कुल वैध मतों का आधे से अधिक बहुमत हासिल करे। अगर प्रथम वरीयता में किसी को बहुमत नहीं मिलता तो सबसे कम वोट पाने वाले उम्मीदवार को बाहर कर उसके मत अगली वरीयता के अनुसार अन्य उम्मीदवारों में स्थानांतरित कर दिए जाते हैं। यह प्रक्रिया तब तक चलती है जब तक कोई उम्मीदवार बहुमत प्राप्त न कर ले।

इस बार उपराष्ट्रपति चुनाव में NDA और इंडिया गठबंधन के बीच कड़ा मुकाबला है। परंतु ध्यान देने वाली बात यह है कि पारदर्शिता और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बनाए रखने के लिए EVM का उपयोग न कर इस पारंपरिक प्रणाली का पालन किया जाता है।