दिल्ली की जीवनरेखा कही जाने वाली यमुना नदी वर्षों से प्रदूषण की मार झेल रही है। अब केंद्र सरकार ने इसे स्वच्छ और पीने योग्य बनाने के लिए कमर कस ली है। जलशक्ति मंत्रालय और दिल्ली सरकार ने मिलकर एक नया मॉडल तैयार किया है जिसके तहत अगले डेढ़ साल में यमुना का पानी पीने लायक बनाने का लक्ष्य रखा गया है।
योजना के मुख्य बिंदु:
- सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स (STPs) का विकास:
यमुना में गिरने वाले नालों को रोकने और सीवेज के प्रभावी ट्रीटमेंट के लिए 40 नए STPs लगाए जाएंगे। इन प्लांट्स की गुणवत्ता, रखरखाव और डिस्चार्ज के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) तैयार की जाएगी जिसे अन्य राज्यों के साथ भी साझा किया जाएगा। - जनजागरूकता अभियान:
यमुना में गंदगी और पूजा सामग्री फेंकने से रोकने के लिए 500 वॉलंटियर्स की भर्ती की जा रही है। ये वॉलंटियर्स नदी के किनारे खड़े रहकर लोगों को जागरूक करेंगे और स्वच्छता बनाए रखने में मदद करेंगे। - 20 वर्षीय विजन प्लान:
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने यमुना की सफाई और दिल्ली की जल आपूर्ति के लिए 20 साल का विजन प्लान तैयार करने पर जोर दिया है। उन्होंने दिल्ली जल बोर्ड को मजबूत करने और उसकी खाली पदों को तुरंत भरने के निर्देश दिए हैं। - राजनीतिक समर्थन:
दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने ‘विकसित दिल्ली’ रोडमैप के तहत यमुना की सफाई को प्राथमिकता दी है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनके समर्थन और केंद्रीय फंडिंग के लिए धन्यवाद दिया है। - तकनीकी निगरानी:
यमुना की सफाई और जल गुणवत्ता की निगरानी के लिए 32 जल गुणवत्ता निगरानी स्टेशन स्थापित किए जाएंगे। इन स्टेशनों के माध्यम से नदी की स्थिति पर लगातार नजर रखी जाएगी।
चुनौतियाँ और समाधान:
यमुना की सफाई में कई चुनौतियाँ हैं जैसे औद्योगिक कचरा, घरेलू सीवेज और धार्मिक अनुष्ठानों के दौरान नदी में डाली जाने वाली सामग्री। इन समस्याओं से निपटने के लिए सरकार ने कड़े कदम उठाने का निर्णय लिया है। इसमें सरकार जुर्माने, जनजागरूकता और तकनीकी उपाय को अपनाएगी।