नई दिल्ली। हरियाणा के चार पूर्व मुख्यमंत्रियों ने कांग्रेस का दामन आखिरकार छोड़ दिया। चारों ने अपनी अलग-अलग पार्टियां बनाई थीं। इन सभी की पार्टियों ने हरियाणा की राजनीति में अच्छा प्रदर्शन भी किया, लेकिन लोकसभा चुनाव में कुछ खास रिजल्ट नहीं ला पाई।
चारों की पार्टियों ने राष्ट्रीय स्तर पर एक प्रतिशत से अधिक वोट हासिल नहीं कर पायी और इनके हालात ऐसे बने कि तीनों पूर्व मुख्यमंत्रियों को अपनी पार्टियों को कांग्रेस में विलय करना पड़ा। लोकसभा चुनाव में चारों दल देश में होने वाले कुल मतदान में से 1% मत भी हासिल नहीं कर सके। फिर एक ऐसी स्थिति आ गई कि बीरेंद्र सिंह, बंसीलाल और भजनलाल को अपनी पार्टियों का कांग्रेस में विलय करना पड़ा।
इनेलो का स्टेट पार्टी का दर्जा खतरे में
बता दें कि सबसे पहले बीरेंद्र सिंह ने कांग्रेस से अलग होकर विशाल हरियाणा पार्टी (वीएचपी) बनाई और उसके बाद देवीलाल अलग हुए और उन्होंने इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) का गठन किया। उसके बाद बंसीलाल ने कांग्रेस छोड़कर हरियाणा विकास पार्टी (हविपा) बनाई।
भजनलाल ने कांग्रेस छोड़ बनाई थी हरियाणा जनहित कांग्रेस
सबसे आखिर में भजनलाल ने कांग्रेस छोड़कर हरियाणा जनहित कांग्रेस (हजकां) का गठन किया। इन्होंने 1952 में स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा, लेकिन यहां उन्हें हार का सामना करना पड़ा। उन्होंने किसान मजदूर पार्टी बनाई, लेकिन बाद में कांग्रेस से जा मिले। हरियाणा गठन के बाद 1967 में अपनी विशाल हरियाणा पार्टी बनाई और मुख्यमंत्री बने। 1971 में वे सांसद बने। उन्होंने 1978 में अपनी पार्टी को कांग्रेस में विलय कर दिया।
चौधरी बंसीलाल की कांग्रेस से हुई राजनीति शुरुआत
चौधरी बंसीलाल ने राजनीति कांग्रेस से शुरुआत की। ये कांग्रेस से तीन बार मुख्यमंत्री बने तथा केंद्र में वे रक्षा मंत्री भी रहे। 1996 में बंसीलाल ने कांग्रेस से अलग होकर हरियाणा विकास पार्टी बनाई और मुख्यमंत्री भी बने। 2004 में उन्होंने अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय किया।
चौधरी देवीलाल ने किया था भारतीय लोकदल का गठन
चौधरी देवीलाल ने देश की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी। आजादी से पहले ही उन्होंने कांग्रेस से राजनीतिक करियर की शुरुआत की। हरियाणा को अलग राज्य के रूप में गठन में उन्होंने सक्रिय भूमिका निभाई। 1971 में उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी। आपातकाल के समय वे जेल भी गए थे। उन्होंने चौ. चरण सिंह के साथ मिलकर भारतीय लोकदल का गठन किया।
ओमप्रकाश चौटाला संभाल रहे पार्टी
इसके बाद वे जनता पार्टी और जनता दल से दो बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने। उन्होंने हरियाणा के साथ-साथ केंद्र की राजनीति में भी भागीदारी की और 1989 में उप-प्रधानमंत्री बने। 1998 में उन्होंने अपना इंडियन नेशनल लोकदल बनाया और लोकदल की बागडोर उनके बेटे पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला संभाल रहे हैं।
कांग्रेस से दो बार सीएम बने थे चौधरी भजनलाल
वहीं चौधरी भजनलाल की बात करें, तो कांग्रेस से दो बार मुख्यमंत्री बने। 2007 में वह कांग्रेस से अलग हो गए थे। इन्होंने हरियाणा जनहित कांग्रेस का गठन किया था। भजनलाल की राजनीति का सफर हमेशा उलटफेर से भरा रहा। शुरुआत में वे कांग्रेस से विधायक बने और बाद में वे जनता पार्टी में गए और मुख्यमंत्री बने। 1977 में देवीलाल की बहुमत वाली सरकार को गिराने पर वे चर्चा में आ गए थे। 2016 में उनके बेटे ने हरियाणा जनहित कांग्रेस का कांग्रेस में विलय किया।