Groundwater crisis in Madhya Pradesh: Madhya Pradesh में Groundwater Level लगातार गिर रहा है। Central Ground Water Board (CGWB) की रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य अब तक अपने Groundwater का 58.75% दोहन कर चुका है। कमलनाथ ने इसे लेकर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि ये स्थिति आने वाले वर्षों में जल संकट (Water Crisis) का रूप ले सकती है। उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा संसद में पेश आंकड़ों का हवाला दिया। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर समय रहते कदम नहीं उठाए गए तो अगली पीढ़ियों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।
कमलनाथ ने कहा कि मध्यप्रदेश असंतुलित जल उपयोग (Water Mismanagement) की वजह से इस हालात में पहुंचा है। उन्होंने बताया कि राज्य में Groundwater का 90% इस्तेमाल कृषि (Agriculture) के लिए होता है। बाकी 9% घरेलू और 1% Industrial Purpose के लिए होता है। उन्होंने कहा कि जितना पानी जमीन से निकाला जा रहा है, उतना Recharge नहीं हो रहा। इस वजह से कई इलाके Critical Zone में पहुंच चुके हैं।
CGWB की रिपोर्ट के अनुसार, इंदौर और रतलाम जैसे जिले Over-exploited की श्रेणी में आ चुके हैं। भोपाल और उज्जैन जैसे इलाके भी खतरे की स्थिति में हैं। इन जिलों में साल-दर-साल बोरवेल (Borewell) की संख्या बढ़ रही है। लेकिन जल संचय (Water Conservation) पर ध्यान नहीं दिया जा रहा। इससे Groundwater Recharge की प्रक्रिया रुक रही है।
प्रदेश में हर साल हजारों नए Borewells खोदे जा रहे हैं। गांवों और शहरों दोनों जगह इसका असर दिखने लगा है। बेतरतीब तरीके से पानी निकालने से पानी का Natural Balance बिगड़ गया है। लगातार दोहन के कारण जमीन के नीचे का जलस्तर (Water Table) खिसकता जा रहा है।
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कमलनाथ ने सरकार से अपील की है कि पारंपरिक जल स्रोतों जैसे कुंए, बावड़ी और तालाबों को पुनर्जीवित किया जाए। उन्होंने कहा कि Rainwater Harvesting और Recharge Techniques को बड़े स्तर पर अपनाने की जरूरत है। इससे Groundwater Recharge को बढ़ावा मिल सकता है। उन्होंने सरकार से ठोस नीति लाने की मांग की है।
प्रदेश का पश्चिमी हिस्सा सबसे ज्यादा प्रभावित है। खासतौर पर मालवा और निमाड़ क्षेत्र में Water Level तेजी से गिर रहा है। यहां की मिट्टी पानी रोकने में कमजोर है। कम बारिश (Low Rainfall) और ज्यादा सिंचाई (Over Irrigation) से हालात बिगड़े हैं। सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाएं जमीन पर असर नहीं दिखा पा रही हैं।