बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे बड़ा और खनिज संपदाओं से भरपूर प्रांत है। 1948 में जबरन इसे पाकिस्तान में शामिल किया गया था। तभी से यहां के लोगों में राजनीतिक उपेक्षा, आर्थिक शोषण और सांस्कृतिक दमन के खिलाफ असंतोष पनपता रहा है। समय-समय पर विद्रोह और हिंसक आंदोलन सामने आते रहे हैं। लेकिन 14 मई 2025 को बलूच नेता मीर यार बलोच द्वारा की गई स्वतंत्रता की घोषणा अब इस संघर्ष को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ले गई है।
मीर यार बलोच ने बलूचिस्तान को “Republic of Balochistan” घोषित करते हुए संयुक्त राष्ट्र से मान्यता देने की अपील की है। इसके साथ ही उन्होंने UN से वहां शांति सेना भेजने की भी मांग की है ताकि बलूच जनता को सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय समर्थन मिल सके। उन्होंने भारतीय मीडिया से यह भी आग्रह किया है कि बलूच लोगों को पाकिस्तानी कहना बंद किया जाए जिससे उनकी स्वतंत्र पहचान को सम्मान मिले।
बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) द्वारा हाल ही में “ऑपरेशन हेरोफ 2.0” के तहत 78 जगहों पर किए गए हमले इस विद्रोह की गंभीरता को दर्शाते हैं। इन हमलों में पाकिस्तान की सेना और खुफिया एजेंसियों को सीधे निशाना बनाया गया। सोशल मीडिया पर यह आंदोलन अब ट्रेंड करने लगा है और “Republic of Balochistan announced” जैसे हैशटैग दुनियाभर में चर्चा का विषय बन चुके हैं।
बलूच नेताओं ने भारत से खुलकर समर्थन मांगा है। उन्होंने भारत से जिन्ना हाउस का नाम बदलकर Balochistan House रखने की अपील भी की है ताकि दुनिया को यह संदेश जाए कि बलूचिस्तान की स्वतंत्रता को समर्थन मिल रहा है।
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यह घटनाक्रम केवल पाकिस्तान की आंतरिक राजनीति के लिए चुनौती नहीं है बल्कि दक्षिण एशिया में नई कूटनीतिक रणनीतियों और गठबंधन को जन्म देने वाला साबित हो सकता है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि भारत, संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस नई वास्तविकता को कैसे स्वीकार करते हैं।