रूस से तेल खरीद पर अमेरिका की नाराज़गी, जयशंकर बोले- समय आने दो, तब देखेंगे

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रूस से तेल खरीद

Highlights

  • अमेरिका रूस से तेल खरीदने वाले देशों पर 500% टैरिफ लगाना चाहता है
  • विदेश मंत्री जयशंकर बोले- अभी कुछ कहना जल्दबाज़ी होगी
  • डील की कोशिश में जुटे भारत-अमेरिका, 26% जवाबी टैरिफ से बचना मकसद

अमेरिका और भारत के बीच एक बार फिर रूस से तेल खरीद को लेकर तनाव गहराता दिख रहा है। विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर (S. Jaishankar) ने वॉशिंगटन में स्पष्ट कहा कि अगर अमेरिका रूस से तेल खरीदने वाले देशों पर 500% टैरिफ (Import Tariff) लगाता है, तो भारत स्थिति के मुताबिक उचित निर्णय लेगा। उन्होंने इस पूरे मामले को “जब पुल आएगा, तब पार करेंगे” (We’ll cross that bridge when we come to it) कहकर टाल दिया, लेकिन यह भी साफ किया कि भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा (Energy Security) से किसी तरह का समझौता नहीं करेगा।

जयशंकर इस समय अमेरिका के चार दिवसीय दौरे पर हैं। उनकी यह टिप्पणी उस समय आई है जब अमेरिकी सीनेटर लिंडसे ग्राहम (Lindsey Graham) ने एक विधेयक (Bill) पेश किया है, जिसमें रूस से कच्चा तेल खरीदने वाले देशों पर भारी आयात शुल्क लगाने की मांग की गई है। खास बात यह है कि इस बिल में भारत और चीन दोनों का नाम लिया गया है, जिन पर पुतिन का 70% तेल खरीदने का आरोप लगाया गया है।

जयशंकर ने बताया कि भारत ने अमेरिकी सांसदों और अधिकारियों के सामने अपनी चिंताएं खुलकर रखी हैं। उन्होंने कहा कि भारत सरकार और अमेरिकी सांसदों के बीच लगातार संवाद बना हुआ है और स्थिति पर बारीकी से नजर रखी जा रही है।

डोनाल्ड ट्रंप का समर्थन बना नई चुनौती

इस विधेयक की गंभीरता इसलिए भी बढ़ गई है क्योंकि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने इसका समर्थन किया है। ट्रंप का यह समर्थन इस प्रस्ताव को राजनीतिक और रणनीतिक रूप से और मजबूत बना सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम रूस पर यूक्रेन युद्ध को लेकर दबाव बनाने के लिए उठाया गया है, लेकिन इसके असर से भारत जैसे देशों का व्यापार भी प्रभावित हो सकता है।

अगर यह 500% टैरिफ लागू होता है तो इससे भारत का अमेरिका को होने वाला निर्यात (Export) बुरी तरह प्रभावित हो सकता है और यह भारतीय व्यापारिक हितों के लिए बड़ा झटका होगा।

भारत-अमेरिका व्यापार समझौते की कोशिशें

दूसरी ओर भारत और अमेरिका एक द्विपक्षीय व्यापार समझौते (Trade Agreement) को अंतिम रूप देने की दिशा में तेजी से काम कर रहे हैं। यह समझौता अप्रैल 2025 में ट्रंप द्वारा घोषित 26% जवाबी टैरिफ से भारत को राहत दिलाने के लिए अहम माना जा रहा है। अगर यह समझौता सफल होता है तो भारतीय निर्यातकों को अमेरिका में बड़ी सहूलियत मिल सकती है।

रूस से बढ़ती तेल खरीद पर अमेरिका की नजर

भारत की रूस से कच्चे तेल की खरीद (Crude Oil Import from Russia) लगातार बढ़ रही है। मई 2025 में यह खरीद 1.96 मिलियन बैरल प्रतिदिन तक पहुंच गई जो पिछले 10 महीनों में सबसे ज्यादा है। इस समय भारत रूस से पश्चिम एशिया की तुलना में कहीं ज्यादा तेल खरीद रहा है।

यह ट्रेंड रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद शुरू हुआ था जब पश्चिमी देशों ने रूस पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए और रूस ने भारत जैसे देशों को रियायती दरों पर तेल देना शुरू किया। भारत की रिफाइनरियों ने इस अवसर का लाभ उठाते हुए रूसी तेल की खरीद को तेजी से बढ़ाया। वर्तमान में भारत अपनी कुल ऊर्जा ज़रूरतों का लगभग 45% हिस्सा कच्चे तेल से पूरा करता है, जिसमें रूस की हिस्सेदारी लगातार बढ़ रही है।