नई दिल्ली। पहले और दूसरे चरण में शामिल 12 लोकसभा सीटों पर कम मतदान होने से चिंतित भाजपा-कांग्रेस ने रणनीति में परिवर्तन किया है। भाजपा ने पन्ना और अर्द्ध पन्ना प्रमुखों के साथ मंत्रियों और विधायकों को अपने-अपने क्षेत्रों में मतदाताओं को घर से निकालने की जिम्मेदारी दी है।
लाख कोशिशों के बाद मतदान जागरूकता न ला पाने से आयोग भी सकते में है। कोशिशों में जुटी भाजपा ने अब कम मतदान का ठीकरा आयोग के सिर फोड़ते हुए शिकायत कर डाली है।
मतदान का तुलनात्मक आकलन
आम चुनाव के दूसरे चरण में 13 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों की 88 सीटों के लिए मतदान हुआ। इन सीटों पर मतदान का तुलनात्मक आकलन दिखाता है कि पूर्व और पूर्वोत्तर (असम, मणिपुर, त्रिपुरा, और पश्चिम बंगाल) में ज्यादा वोट पड़े (70 फीसदी से ज्यादा) और बिहार व उत्तर प्रदेश में पुराने ढर्रे के मुताबिक कम वोट पड़े (60 फीसदी से कम)। केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान में भी मतदान में कमी देखी गयी।
मतदाताओं से मतदान करने का आग्रह करें
मतदान केंद्र स्तर पर केंद्र व राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं के लाभार्थियों से संपर्क कर उन्हें मतदान के लिए प्रेरित किया जाए। मतदान के दिन पूरी टीम सक्रिय रहे और जिन क्षेत्रों में कम मतदान की सूचना प्राप्त हो, वहां टीम घर-घर जाए और मतदाताओं से मतदान करने का आग्रह करें।
वहीं, कांग्रेस ने बूथ स्तरीय टोलियों को सक्रिय किया है। जिन क्षेत्रों में मतदान हो चुका है, वहां के विधायक और उम्मीदवारों को दूसरे क्षेत्रों में दौरा करके कार्यकर्ताओं को प्ररित करने के लिए कहा है। युवा कांग्रेस, महिला कांग्रेस, सेवादल, एनएसयूआइ समेत मोर्चा-प्रकोष्ठों को उम्मीदवारों से संपर्क कर उनके द्वारा बताए जाने वाले मतदान केंद्रों पर सक्रियता बढ़ाने, न्याय गारंटियों को घर-घर पहुंचाने के निर्देश दिए हैं।
चुनाव आयोग भी चिंतित
उधर, चुनाव आयोग भी कम मतदान को लेकर चिंतित है। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कलेक्टरों के साथ बैठक कर चुके हैं। तीसरे और चौथे चरण में जिन 17 लोकसभा क्षेत्रों में चुनाव होना हैं, उनमें चलें बूथ की ओर अभियान चलाने का निर्णय लिया है। एक मई को बैतूल, मुरैना, भिंड, ग्वालियर, गुना, सागर, विदिशा, भोपाल और राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र के 20 हजार 456 मतदान केंद्रों पर यह अभियान चलाया जाएगा।
आयोग की नजर अगले चरण पर
मतदान में जागरूकता लाने के लिए चुनाव आयोग भी पिछले कई दिनों से प्रयासों में जुटा हुआ है। मतदान में सुविधाएं, मतदान के बदले आकर्षक ऑफर और लोगों को उनके कर्तव्यबोध के बाद भी लगातार दो चरणों में वोटिंग परसेंटेज न बढ़ पाना आयोग के लिए चिंता का विषय बनता जा रहा है। इस स्थिति के चलते उसने अब 7 मई को होने वाले अगले चरण के लिए पूरी ताकत झोंक दी है।
मतदान कम क्यों?
जानकारों के अनुसार, कम मतदान का संभावित कारण गर्मी हो सकती है क्योंकि इस बार मतदान 2019 की तुलना में आठ दिन बाद शुरू हुआ। कई मतदाताओं द्वारा परिणाम को एक पूर्व निष्कर्ष मानते हुए उदासीनता और त्योहार और शादी के मौसम के साथ टकराव को माना जा रहा है।
मतदान बढ़ाने के लिए चुनाव आयोग की कोशिश
मतदान बढ़ाने के लिए चुनाव आयोग ने बहुत कोशिशें कीं। स्वीप कार्यक्रम (SVEEP) के तहत मतदान बढ़ाने की योजना बनाई गई, मशहूर हस्तियों को चुनाव आयोग का दूत बनाकर लोगों को वोट डालने के लिए प्रेरित किया गया, क्रिकेट मैच के दौरान भी लोगों को वोट डालने के लिए जागरूक किया गया और मतदान केंद्रों को भी बेहतर बनाया गया ताकि वोट डालना आसान हो। लेकिन ऐसा लगता है कि ये कोशिशें काफी नहीं रहीं।
भारत निर्वाचन आयोग एक स्वायत्त एवं अर्ध-न्यायिक संस्थान है जिसका गठन भारत में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष रूप से विभिन्न से भारत के प्रातिनिधिक संस्थानों में प्रतिनिधि चुनने के लिए किया गया था। भारतीय चुनाव आयोग की स्थापना 25 जनवरी 1950 को की गयी थी।