देश में बढ़ते डॉग अटैक और रेबीज से मौतों पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, खुद लिया संज्ञान

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देश में बढ़ते डॉग अटैक और रेबीज से मौतों पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, खुद लिया संज्ञान

Highlights

  • सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों के हमलों और रेबीज मौतों पर स्वतः संज्ञान लिया।
  • बच्चों और बुजुर्गों पर बढ़ते डॉग अटैक को लेकर लोगों में डर और गुस्सा।
  • रेबीज के कई केस समय पर वैक्सीन न मिलने से बने जानलेवा।

आवारा कुत्तों के हमलों और रेबीज से होने वाली मौतों पर बढ़ती चिंताओं के बीच सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बड़ा कदम उठाया। कोर्ट ने इस गंभीर मुद्दे पर स्वतः संज्ञान लेते हुए तुरंत हस्तक्षेप किया। मामला एक मीडिया रिपोर्ट से जुड़ा है जिसमें खास तौर पर बच्चों और बुजुर्गों पर बढ़ते खतरे को उजागर किया गया है।

न्यायमूर्ति जे बी पारडीवाला और न्यायमूर्ति आर महादेवन की बेंच ने “City hounded by strays and kids pay price” शीर्षक वाली खबर का संज्ञान लेते हुए इसे बेहद चिंताजनक बताया। रिपोर्ट में बताया गया कि शहरों और आसपास के इलाकों में डॉग बाइट (कुत्तों के काटने) के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और कई मामलों में रेबीज के कारण मौतें हो रही हैं।

खुले कोर्ट में सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति पारडीवाला ने कहा, “यह रिपोर्ट बेहद परेशान करने वाली है। सैकड़ों लोग कुत्तों के हमलों का शिकार हो रहे हैं और कई रेबीज से मर रहे हैं। सबसे ज्यादा खतरा नवजात बच्चों और बुजुर्गों को है।”

मामले की गंभीरता को देखते हुए कोर्ट ने रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि इसे स्वतः संज्ञान लेकर रिट याचिका के रूप में दर्ज किया जाए। साथ ही, आदेश की एक प्रति संबंधित न्यूज रिपोर्ट के साथ भारत के मुख्य न्यायाधीश को भेजी जाएगी ताकि जरूरी निर्देश दिए जा सकें।

यह कार्रवाई ऐसे समय में हुई है जब पूरे देश में आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या और स्थानीय प्रशासन की लापरवाही को लेकर लोगों में गुस्सा है। लगातार सामने आ रही खबरें दिखा रही हैं कि शिशु और बुजुर्ग बार-बार डॉग अटैक के शिकार हो रहे हैं और कोई ठोस कंट्रोल पॉलिसी नजर नहीं आ रही।

रिपोर्ट में ये भी सामने आया कि कई पीड़ितों को समय पर एंटी-रेबीज वैक्सीन नहीं मिल पाई और उनकी जान चली गई। हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि रेबीज के लक्षण दिखने के बाद इलाज लगभग नामुमकिन हो जाता है। उन्होंने तुरंत बड़े पैमाने पर टीकाकरण अभियान और स्ट्रे डॉग पॉप्युलेशन कंट्रोल प्रोग्राम को सख्ती से लागू करने की मांग की है।

कानूनी जानकारों का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट का यह कदम देशभर में स्ट्रे एनिमल मैनेजमेंट, पब्लिक हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर और नगरपालिकाओं की जवाबदेही पर व्यापक नीति लाने का रास्ता खोल सकता है। उम्मीद है कि मुख्य न्यायाधीश जल्द ही इस मामले को किसी उपयुक्त बेंच के सामने सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करेंगे।