भारत की ज्यादातर नदियां हिमालय से निकलकर बहती हैं. वैसे तो देश में हज़ारों ग्लेशियर हैं. लेकिन जो चार मुख्य ग्लेशियर है, वो लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और अरुणाचल प्रदेश में है. लद्दाख में 15 बड़े ग्लेशियर है. जिसमें पेंसिलुंगपा, डुरुंग डुरुंग, पार्काचिक, सगतोग्पा, सगतोग्पा ईस्ट, थारा कांगड़ी, गरम पानी,रासा-1, रासा-2, अरगनग्लास ग्लेशियर, फुननग्मा, पानामिक-1, पानामिक-2, सासेर-1 और सासेर-2 शामिल है. हर साल लद्दाख के ये ग्लेशियर्स काफी तेजी के साथ पिघल रहे है. अगर हम पेंसिलुंगपा की बात करें, तो ये ग्लेशियर करीब 5.60 मीटर की दर से हर साल कम हो रहा है. वहीं पार्काचिक 4.21 मीटर प्रति मीटर हर वर्ष घट रहा है.
लद्दाख में सबसे तेज 18.86 मीटर हर साल घटने वाला ग्लेशियर अरगनग्लास ग्लेशियर है. लद्दाख के सभी 15 ग्लेशियर में से एक सिर्फ कांगड़ी ग्लेशियर ही इकलौता है, जो पिछले पांच सालों में बढ़ा ही है. ये ग्लेशियर 11.13 मीटर की दर से हर साल बढ़ा है.
अरुणाचल प्रदेश- अरुणाचल प्रदेश में खांगड़ी नाम से केवल एक ही ग्लेशियर है. ये ग्लेशियर भी लद्दाख के बाकी ग्लेशियर्स की तरह पिघल रहा है. ये करीब 6.50 मीटर प्रति वर्ष की दर से हर साल कम हो रहा है. ये अरुणाचल के साथ-साथ समस्त भारत के लिए खतरनाक बात है.
हिमाचल प्रदेश- हिमाचल प्रदेश में करीब 12 विशेष ग्लेशियर है. हिमाचल का कोई एक ग्लेशियर भी नहीं है, जो बढ़ रहा हो. यहां के सारे ग्लेशियर समय के साथ घट ही रहे है. ताकडुंग ग्लेशियर 9.64 मीटर से हर साल घट रहा है, उल्धांपू 4.66 मीटर की दर से प्रति वर्ष पिघल रहा है, मेंथोसा 4.32 मीटर से घट रहा है. ऐसे ही हिमाचल के गुंबा, गांग्पू, त्रिलोकीनाथ, बियास कुंड ग्लेशियर, ग्लेशियर नंबर 20, गेपांग गाठ, समुद्र टापू, बाताट और कुंजम के नाम से ग्लेशियर है, जो हर साल घट रहे हैं. इन सबमें से गेपांग गाठ और त्रिलोकीनाथ ग्लेशियर है जो सबसे ज्यादा तेजी से पिघल रहे हैं.
उत्तराखंड- उत्तरखंड में छह मुख्य ग्लेशियर है. इसमें माबांग ग्लेशियर, प्यूंग्रू, चिपा, गंगोत्री, डोकरियानी, चोराबारी ग्लेशियर हर साल पिघल रहे हैं. उत्तराखंड में ग्लेशियर के पिघलने की दरे सबसे ज्यादा है. साथ ही देश के लिए सबसे ज्यादा खतरा भी इन्हीं ग्लेशियर के पिघलने से है.